रांची/नयी दिल्ली : राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने झारखंड और केंद्र सरकार से सारंडा अभयारण्य पर एक रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा है. झारखंड सरकार और केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह एक रिपोर्ट जमा करें, जिसमें यह बतायें कि पश्चिम सिंहभूम स्थित सारंडा अभयारण्य को उन्होंने पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र घोषित क्यों नहीं किया है.
जस्टिस एसपी वांगड़ी और विशेषज्ञ सदस्य नगिन नंदा की पीठ ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, राज्य सरकार तथा अन्य को नोटिस जारी कर छह हफ्ते में जवाब मांगा है. एनजीटी ने कहा, ‘आवेदन में दिये गये तथ्यों और परिस्थितियों के मद्देनजर तथा आवेदक की ओर से पेश वकील की दलील सुनने के बाद हम मानते हैं कि इस मामले में पर्यावरण संबंधी प्रश्न उठते हैं.’
पीठ ने कहा, ‘इस बीच प्रतिवादी आवेदन में उठाये गये सवालों के संबंध में एक रिपोर्ट सुनवाई की अगली तारीख से कम से कम एक हफ्ता पहले पेश करें.’ अधिकरण कार्यकर्ता आरके सिंह की ओर से दायर याचिका की सुनवाई कर रहा था. इसमें कहा गया है कि झारखंड सरकार और पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने सारंडा अभयारण्य को पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र घोषित नहीं किया है.
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उल्लेखनीय है कि दो दिन पहले ही राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने झारखंड सरकार पर 113 करोड़ रुपये का भारी-भरकम जुर्माना लगाया है. झारखंड में पर्यावरण स्वीकृति के बिना झारखंड हाइकोर्ट, विधानसभा एवं अन्य भवनों के निर्माण के लिए यह जुर्माना लगाया गया. झारखंड हाइकोर्ट भवन पर 66 करोड़ और विधानसभा भवन पर 47 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया.
इस मुद्दे पर झारखंड में राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया. वर्तमान सत्तारूढ़ दल झारखंड मुक्ति मोर्चा और उसके सहयोगियों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास पर जोरदार हमला बोला है. अन्य विरोधी दल भी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को घेरने में जुट गयी हैं. झामुमो ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके भाजपा और रघुवर दास पर गंभीर आरोप लगाये हैं.
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Posted By : Mithilesh Jha