एनआईए (National Investigation Agency) ने कहा है कि अमेरिका के अलगाववादी संगठन, सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) ने भारतीय सेना में सिख कर्मियों को भारत के खिलाफ विद्रोह में उकसाने की कोशिश कर रहा है. इसके लेकर राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (National Investigation Agency, NIA) ने देशविरोधी गतिविधियों में हिस्सा लेने और देश में क्षेत्रीयता और धर्म के आधार पर रंजिश बढ़ाने के आरोप में अमेरिका (America), ब्रिटेन (Bretain) और कनाडा (Canada) में रहने वाले 16 लोगों के खिलाफ आतंक रोधी कानून यूएपपीए के तहत आरोपपत्र (Charge Sheet) दाखिल किया.
एनआईए (NIA) के आरोपपत्र में कहा गया है कि अमेरिका से सात आरोपी, ब्रिटेन से छह और कनाडा से तीन आरोपी ‘खालिस्तान’ (Khalistan) के गठन के लिए ‘रेफरेंडम 2020′ के बैनर तले अलगाववादी अभियान शुरू करने की साजिश में संलिप्त थे. विशेष अदालत (Special Court) के सामने गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (India pannel Code) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोपपत्र दाखिल किया गया। आरोपियों में गुरपतवंत सिंह पन्नून, हरदीप सिंह निज्जर और परमजीत सिंह को गृह मंत्रालय द्वारा आतंक रोधी कानून के तहत आतंकवादी घोषित किया गया है. पन्नून अमेरिका में, निज्जर कनाडा में और परमजीत ब्रिटेन में है.
आरोप पत्र में अवतार सिंह पन्नून, हरप्रीत सिंह, अमरदीप सिंह पुरेवाल, हरजाप सिंह, सरबजीत सिंह और एस हिम्मत (सभी आरोपी अमेरिका के), गुरप्रीत सिंह बग्गी, सरबजीत सिंह बन्नूर, कुलवंत सिंह मोठाद, दुपिंदरजीत सिंह और कुलवंत सिंह (सभी ब्रिटेन से) और जे एस धालीवाल और जतिंदर सिंह ग्रेवाल (कनाडा के) के नाम हैं. एनआईए के मुताबिक ये सभी लोग सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) के सदस्य हैं. यूएपीए के तहत इस संगठन को गैरकानूनी संगठन घोषित किया गया है.
एनआईए के प्रवक्ता के मुताबिक मामले में जांच में पता चला कि ‘सिख फॉर जस्टिस’ पाकिस्तान समेत विदेशी सरजमीं से खालिस्तान आतंकवादी संगठनों का मुखौटा संगठन है. अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया समेत कुछ अन्य देशों में मानवाधिकार के पैराकार संगठन के नाम पर यह एक अलगाववादी संगठन है.
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फेसबुक, टि्वटर, वाट्सऐप समेत सोशल मीडिया के मंचों पर इसने देशद्रोही और धर्म तथा क्षेत्रीयता के आधार पर रंजिश बढ़ाने, शांति-सौहार्द बिगाड़ने, युवाओं को कट्टर बनाने का अभियान चलाया.
Posted by: Pritish Sahay