जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट चीफ आतंकी यासीन मलिक के लिए एनआईए ने फांसी की मांग की है. एनआईए ने दिल्ली हाईकोर्ट में इसको लेकर एक याचिका दायर की थी, दायर की गयी याचिका में एनआईए ने कहा था कि- ट्रायल कोर्ट द्वारा ऐसे खूंखार आतंकवादी को मृत्युदंड नहीं देना समाज के लिए घातक होगा. क्योंकि, आतंकवाद देश के लिए खतरा है और यह मामला गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है. आतंकवाद का कार्य समाज के खिलाफ अपराध नहीं है. एनआईए की याचिका पर आज सुनवाई हुई. सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने आतंकी फंडिंग मामले में मौत की सजा की मांग वाली राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की याचिका पर JKLF नेता यासीन मलिक को नोटिस जारी किया है और दिल्ली हाईकोर्ट ने जेल में बंद अलगाववादी नेता यासीन मलिक को एनआईए की याचिका पर उसके समक्ष अगस्त में पेश किए जाने का वारंट जारी किया. बता दें साल 2022 में एनआईए कोर्ट ने UAPA और देश के खिलाफ जंग छेड़ने के आरोप में यासीन को उम्रकैद की सजा सुनाई गयी थी.
अगर आप नहीं जानते टतो बता दें यासीन मलिक एक अलगाववादी नेता है और जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) से जुड़ा हुआ है. कश्मीर की राजनीति में वह हमेशा से ही एक्टिव रहा है. उस पर युवाओं को भड़काने और हाथों में हथियार लेने के लिए प्रेरित करने जैसे कई आरोप हैं. NIA की कोर्ट ने यासीन को टेरर फंडिंग के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई थी. जानकारी के लिए बता दें यासीन को कई धाराओं के तहत सजा मिल चुकि है और इसी के साथ उसे दो मामलों में 10 साल की सजा सुनाई गयी है. यासीन मलिक को जितनी भी सजाएं मिली हैं वे सभी एक साथ चलेंगी. मलिक पर पाकिस्तान के सपोर्ट से कश्मीर में आतंकी हमलों के लिए फंडिंग और आतंकियों को हथियार दिलाने से जुड़े कई मामले दर्ज किये गए हैं.
-
यासीन मलिक को IPC की धारा 120 B के तहत 10 साल की सजा और 10 हजार रुपये का जुर्माना
-
IPC की धारा 121 के तहत उम्रकैद की सजा,10 हजार रुपये का जुर्माना
-
IPC की धारा 121 A के तहत 10 साल की सजा और 10 हजार रुपये का जुर्माना
-
UAPA की धारा 13 के तहत 5 साल की सजा और 5 हजार रुपये का जुर्माना
-
UAPA की धारा 15 के तहत 10 साल की सजा और 10 हजार रुपये का जुर्माना
-
UAPA की धारा 17 के तहत उम्रकैद की सजा और 10 लाख रुपये का जुर्माना
-
UAPA की धारा 18 के तहत 10 साल की सजा और 10 हजार रुपये का जुर्माना
-
UAPA की धारा 20 के तहत 10 साल की सजा और 10 हजार रुपये का जुर्माना
-
UAPA की धारा 38 और 39 के तहत 5 साल की सजा और 5 हजार रुपये का जुर्माना