नयी दिल्ली : ‘जमीयत-ए-अहलेहदीथ जम्मू-कश्मीर’ के प्रमुख शौकत शाह की साल 2011 में श्रीनगर के मैसूमा इलाके में एक मस्जिद के बाहर धमाका कर हत्या कर दिये जाने के मामले में आरोपितों को बरी किये जाने की खबर को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने भ्रामक बताया है.
Yesterday, there was misleading news published by some media houses that NIA Court in Srinagar has acquitted all accused in a case related to killing of chief of Jamiat-e-Ahlihadeeth, J&K: National Investigation Agency pic.twitter.com/E9dni8vPAA
— ANI (@ANI) December 12, 2020
एनआईए ने शनिवार को स्पष्ट किया कि शुक्रवार को कुछ मीडिया घरानों द्वारा भ्रामक समाचार प्रकाशित किया गया था कि श्रीनगर में एनआईए कोर्ट ने ”जमीयत-ए-अहलेहदीथ जम्मू-कश्मीर” के प्रमुख की हत्या से जुड़े मामले में सभी आरोपितों को बरी कर दिया है.
जांच एजेंसी ने स्पष्ट किया है कि जम्मू-कश्मीर में एनआईए के सभी मामलों का ट्रायल जम्मू स्थित एनआईए के स्पेशल कोर्ट में आयोजित किया जाता है, जिसे गृह मंत्रालय और जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट द्वारा नामित किया जाता है.
वर्तमान साल 2020 में भारत में सभी नामित एनआईए की विशेष अदालतों ने अब तक 11 मामनों में फैसला सुनाया है. साथ ही कहा है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी 100 फीसदी दोष सिद्ध करने में सक्षम है.
साथ ही जांच एजेंसी ने स्पष्ट किया है कि श्रीनगर में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के मामलों से निबटने के नामित न्यायालय के संदर्भ में एनआईए शब्द का संदर्भ गलत सूचना है. इससे एनआईए के काम करने के बारे में संदेह उत्पन्न होता है.
न्यूज एजेंसी भाषा के मुताबिक, श्रीनगर के मैसूमा इलाके में आठ अप्रैल, 2011 को एक मस्जिद के बाहर कम तीव्रता के हुए धमाके में ”जमीयत-ए-अहलेहदीथ जम्मू-कश्मीर” के प्रमुख शौकत शाह की हत्या मामले में एनआईए कोर्ट ने सभी आरोपितों को बरी कर दिया गया.
साथ ही कहा गया था कि न्यायाधीश ने गुरुवार को 156 पन्ने के आदेश में शौकत शाह की हत्या के सभी आरोपितों को संदेह का लाभ देते हुए आरोपों से बरी कर दिया. क्योंकि, अभियोजन उन परिस्थितियों को साबित करने में नाकाम रहा, जिसके तहत माना गया कि आरोपितों ने आपराधिक साजिश कर शाह की हत्या की होगी.
मालूम हो कि शौकत शाह की हत्या के आरोपितों में आतंकी कमांडर मोहम्मद अब्दुल्ला उनी और पीओके के जेहाद काउंसिल का महासचिव फयाज अहमद भी शामिल है. इन आरोपितों में से एक अब्दुल गनी डार की फरवरी 2020 में एक मस्जिद के भीतर हत्या कर दी गयी थी.