NIA ने खूंखार गैंगस्टरों के ठिकानों पर मारा छापा, क्या आप जानते हैं – कौन हैं दिल्ली के पांच बड़े माफिया
दिल्ली में 1990 के दशक के दौरान मुंबई जैसे अंडरवर्ल्ड डॉन नहीं थे, लेकिन ऐसे कई गैंगस्टर हैं, जिन्हें कानून कानून का खौफ नहीं है. दिल्ली के ये गैंगस्टर अपने विरोधियों को मार डालने में ही यकीन करते हैं. यहां तक कि वे अपने विरोधियों को जेल या कोर्ट कैंपस में भी मार देते हैं.
नई दिल्ली : राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की ओर से सोमवार को दिल्ली और आसपास के राज्यों में गैंगस्टरों के घरों और ठिकानों पर छापेमारी की गई. केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा उठाए इस कदम को दिल्ली-एनसीआर में संगठित अपराध के खिलाफ पहली रणनीतिक कार्रवाई के तौर पर देखा जा रहा है. सोमवार की सुबह एनआईए अधिकारियों ने नीरज बवाना और सुनील मान उर्फ टिल्लू ताजपुरिया जैसे दिल्ली के गैंगस्टरों के घरों पर छापेमारी की. हालांकि, दिल्ली में फिलहाल गैंगस्टरों की कोई बड़ी घटना सामने नहीं आई है.
1990 के दशक तक दिल्ली में नहीं था कोई बड़ा डॉन
मीडिया रिपोर्ट की मानें, तो दिल्ली में 1990 के दशक के दौरान मुंबई जैसे अंडरवर्ल्ड डॉन नहीं थे, लेकिन ऐसे कई गैंगस्टर हैं, जिन्हें कानून कानून का खौफ नहीं है. दिल्ली के ये गैंगस्टर अपने विरोधियों को मार डालने में ही यकीन करते हैं. यहां तक कि वे अपने विरोधियों को जेल या कोर्ट कैंपस में भी मार देते हैं. बदले की कार्रवाई के दौरान ये न केवल अपने विरोधियों को मारते हैं, बल्कि उनके परिवार के सदस्यों को भी अपना निशाना बना देते हैं. यहां तक कि ये पुलिस की टीम पर भी गोली चलाने से नहीं हिचकते. आज कल सोशल मीडिया पर इनके फैन-फॉलोअर्स की बड़ी तादाद भी नजर आने लगे हैं. दिल्ली में पांच बड़े माफिया गिरोह का खौफ है. इसमें नीरज बवाना, सुनील मान उर्फ टिल्लू ताजपुरिया, काला जठेड़ी, जितेंद्र गोगी और लॉरेंस बिश्नोई-गोल्डी बरार शामिल हैं.
नीरज बवाना
नीरज बवाना 2015 में अपनी गिरफ्तारी तक दिल्ली के सबसे वांछित लोगों में से एक था, लेकिन नीरज बवाना को दिल्ली की हाई सिक्योरिटी वाली तिहाड़ जेल के अंदर अलग-थलग करने से बवाना या उसके गिरोह को रोका नहीं जा सका. बवाना का गिरोह रंगदारी, डकैती, सुपारी लेकर हत्या और जमीन हथियाने जैसे अपराधों को अंजाम देता रहता है. बवाना के गिरोह के सदस्य धमकी देने या अपने गिरोह की गतिविधियों का विवरण साझा करने के लिए सोशल मीडिया का भी उपयोग करते हैं. नीरज बवाना का नाम दिल्ली के गैंगस्टर जितेंद्र गोगी की हत्या में सामने आया, जिसकी पिछले साल रोहिणी में एक अदालत के अंदर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
दिल्ली पुलिस के अधिकारी ने मीडिया को बताया कि नीरज बवाना और उसके गिरोह के सदस्य व्यापारियों को बुलाने और नीरज टैक्स की मांग करने के लिए जाने जाते थे. जबरन वसूली की रकम 5 लाख से 1 करोड़ रुपये तक थी. 2015 में अपनी गिरफ्तारी से पहले नीरज बवाना एक प्रतिद्वंद्वी गिरोह गैंगस्टर नीतू दाबोदिया के साथ बंद था, जो 2013 में एक पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था. दो गिरोह बाहरी दिल्ली के इलाकों जैसे अलीपुर, बवाना में जबरन वसूली रैकेट के नियंत्रण के लिए आपस में भिड़ गए थे.
सुनील मान उर्फ टिल्लू ताजपुरिया
सुनील मान उर्फ टिल्लू ताजपुरिया जब दिल्ली की मंडोली जेल में बंद थी, उसी समय उसने अपने कट्टर विरोधी जितेंद्र गोगी को मारने की योजना बनाई और उसे मार भी दिया. ये दोनों कभी आपस में दोस्त थे, लेकिन एक खूनी लड़ाई के बाद दोनों एक-दूसरे के कट्टर दुश्मन बन गए. इन दोनों बदमाशों की लड़ाई करीब एक दशक से भी अधिक समय तक चलती रही और इस दौरान करीब दो दर्जन से अधिक लोगों की मौत हो गई. जितेंद्र गोगी के मारे जाने के बाद जेल अधिकारियों ने टिल्लू ताजपुरिया को मंडोली जेल से हटाकर तिहाड़ जेल में शिफ्ट कर दिया, लेकिन वह वहां से भी अपने गिरोह का संचालन जारी रखा.
काला जठेड़ी
काला जठेड़ी हरियाणा में सोनीपत के पास जठेड़ी गांव का रहने वाला है. काला जठेड़ी जुलाई 2021 में अपनी गिरफ्तारी तक दिल्ली पुलिस की मोस्ट वांटेड सूची में सबसे ऊपर था. काला जठेड़ी ने नीज बवाना और सुनील मान के विरोधियों के साथ काम करता था. मार्च 2021 में उसने जीटीबी अस्पताल से जेल में बंद गैंगस्टर कुलदीप फैजा को भगाने के मामले का अहम किरदार था. कुलदीप फैजा को उसने तब फरार कराया, जब उसे मेडिकल जांच के लिए जीटीबी अस्पताल लाया गया था. हालांकि, कुलदीप फैजा एक हफ्ते के अंदर पुलिस की मुठभेड़ में मार गिराया गया. इसके बाद पुलिस ने दिल्ली में काला जठेड़ी की आपराधिक गतिविधियों पर काबू करने के लिए उस पर मकोका (महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम) भी लगाया. पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, काला जठेड़ी ने दिल्ली के शहरी गांवों में व्यापारियों और सट्टेबाजों से 50 लाख से 1 करोड़ रुपये की रंगदारी की मांग की. द्वारका और रोहिणी जैसे स्थानों में जठेड़ी के गिरोह के सदस्य व्यापारियों पर गोलीबारी की कई घटनाओं में शामिल थे. यह गिरोह पर्चा भेजकर कारोबारियों से जबरन वसूली करता था.
जितेंद्र गोगी
जितेंद्र गोगी की सितंबर 2021 में रोहिणी कोर्ट परिसर के अंदर टिल्लू ताजपुरिया गिरोह के दो लोगों द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. यह जितेंद्र गोगी और टिल्लू ताजपुरिया गैंग के बीच लंबी और खूनी जंग का नतीजा था. इन दोनों गैंग की जंग जितेंद्र गोगी की मौत के बाद भी जारी रही. यह जंग अब रोहित मोई और दीपक के नेतृत्व में अब भी जारी है. इन दोनों बदमाशों की जेलों में भी जंग जारी है. इन दोनों की जंग की वजह से जेल प्रशासन इन्हें अलग-अलग स्थानों पर रखता है. ये दोनों बदमाश दिल्ली के गांवों में जबरन वसूली, जमीन कब्जाने, बाजारों, शोरूम और भीड़ वाले इलाकों में गोली-बारी करने में शामिल रहे हैं.
लॉरेंस बिश्नोई-गोल्डी बराड़
लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़ ने शुरू में पंजाब में अपनी आपराधिक गतिविधियां शुरू कीं, लेकिन जितेंद्र गोगी और काला राणा गिरोह के दिल्ली गैंगस्टरों के साथ मिलकर काम करने के बाद अपने नेटवर्क को दिल्ली तक फैला दिया. इन दोनों का नाम हाल ही में पंजाब के मनसा जिले में 29 मई को पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या में शामिल था. बदमाशों की इस नेटवर्किंग का सीधा मतलब यह है कि लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़ गिरोहों को नीरज बवाना, टिल्लू ताजपुरिया और अन्य के नेतृत्व वाले गिरोहों द्वारा दुश्मन के रूप में गिना जाता है.
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टिल्लू ताजपुरिया ने भी पंजाब और हरियाणा के गिरोहों जैसे दविंदर बंबिहा और कौशल चौधरी नामक गैंगस्टरों के साथ हाथ मिलाया हुआ है. इन दोनों गैंगस्टरों के ठिकानों पर भी सोमवार को एनआईए ने छापा मारा. लॉरेंस बिश्नोई दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद था और उसका सहयोगी गोल्डी बराड़ कनाडा से गिरोह चलाता है. अभी तीन दिन पहले दिल्ली पुलिस ने बिश्नोई-बराड़ गिरोह के तीन लोगों को गिरफ्तार किया, जो एक विरोधी को खत्म करने के लिए बराड़ के निर्देश पर दिल्ली आए थे.