Mysuru Court Blast Case बेंगलुरु में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की विशेष अदालत ने सोमवार को अलकायदा से जुड़े समूह के तीन सदस्यों को कारावास की सजा सुनाई है. ये तीनों 2016 के मैसूर कोर्ट विस्फोट मामले में शामिल होने के लिए प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन अल कायदा के विचारों में यकीन रखने वाले एक संगठन के सदस्य है.
न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, एनआईए की विशेष अदालत ने आज 2016 के मैसूर कोर्ट विस्फोट मामले में दोषी नैनार अब्बास अली उर्फ लाइब्रेरी अब्बास, एम सैमसन करीम राजा उर्फ अब्दुल करीम और दाऊद सुलेमान को सजा सुनाई है. ये सभी तमिलनाडु के मदुरै के रहने वाले हैं.
NIA Special Court, Bengaluru has sentenced three convicted Al Qaeda- Base Movement terrorists to imprisonment in the 2016 Mysuru Court blast case. pic.twitter.com/v41iQhXABC
— ANI (@ANI) October 11, 2021
कोर्ट ने नैनार अब्बास अली उर्फ लाइब्रेरी अब्बास को 10 साल की सजा और 43,000 आर्थिक दंड की सजा दी है. वहीं, कोर्ट ने एम सैमसन करीम राजा उर्फ अब्दुल करीम को 5 साल की कारावास और 25,000 रुपए आर्थक दंड की सजा सुनाई है. जबकि, दाऊद सुलेमान को 10 साल की सजा और 38,000 आर्थिक दंड की सजा दी है.
इससे पहले बेंगलुरु में एनआईए की विशेष अदालत ने शुक्रवार को बेस मूवमेंट के तीन सदस्यों को दोषी ठहराया था. बता दें कि 1 अगस्त 2016 को मैसूर शहर के चामराजपुरम के कोर्ट परिसर में एक सार्वजनिक शौचालय में बम विस्फोट हुआ था. मामला मूल रूप से 1 अगस्त 2016 को मैसूर शहर के लक्ष्मीपुरम पुलिस स्टेशन में अज्ञात आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज किया गया था, लेकिन गृह मंत्रालय के आदेश पर एनआईए ने दोबारा मामला दर्ज कर जांच अपने हाथ में ले ली थी.
एनआईए के मुताबिक, जांच से पता चला था कि 1 अगस्त को मैसूर कोर्ट में बम विस्फोट, बेस मूवमेंट के सदस्यों द्वारा किए गए पांच बम विस्फोटों में से एक था, जो एक प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन अलकायदा से जुड़ा एक समूह था. उन्होंने 2016 में आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में चित्तौड़ कोर्ट में 4 अप्रैल को, 15 मई को केरल के कोल्लम कोर्ट और फिर नेल्लोर कोर्ट में 12 सितंबर को और केरल के मल्लापुरम कोर्ट में 1 नवंबर को बम विस्फोटों को अंजाम दिया था.
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