IIT के 9 इंजीनियर बने साधु, जानें सभी के नाम 

IIT Engineer: आइए ऐसे ही कुछ आईआईटी स्नातकों के बारे में जानते हैं जिन्होंने अपने करियर की ऊंचाइयों को छोड़कर अध्यात्म का मार्ग चुना.

By Aman Kumar Pandey | January 22, 2025 12:19 PM
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IIT: आईआईटी बाबा के नाम से प्रसिद्ध अभय सिंह ने देश की प्रतिष्ठित संस्था, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), को एक बार फिर से सुर्खियों में ला दिया है. आमतौर पर आईआईटी की चर्चा इसके छात्रों द्वारा किए जाने वाले शोध और उन्हें मिलने वाले बड़े पैकेजों की वजह से होती है, लेकिन इस बार वजह अलग है. आईआईटी से स्नातक करने के बाद भी कई छात्र आध्यात्मिक मार्ग अपनाने लगे हैं. आइए, ऐसे ही कुछ आईआईटी स्नातकों के बारे में जानते हैं जिन्होंने अपने करियर की ऊंचाइयों को छोड़कर अध्यात्म का मार्ग चुना.

गौरंग दास

आईआईटी बॉम्बे से केमिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल करने वाले गौरंग दास ने इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) के साथ जुड़कर आध्यात्मिकता का रास्ता अपनाया. वे सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रिय हैं और उनके वीडियो उन्हें एक प्रभावशाली व्यक्तित्व के रूप में प्रस्तुत करते हैं. गौरंग दास ने कई आध्यात्मिक पुस्तकें भी लिखी हैं.

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अभय सिंह

अभय सिंह, जो आईआईटी बॉम्बे से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में स्नातक हैं, हाल ही में चर्चा में आए हैं. उन्होंने कनाडा में अपनी अच्छी-खासी नौकरी को त्याग कर संन्यास लिया और अध्यात्म की राह पर चल पड़े. उनकी कहानी ने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है और उन्हें आईआईटी बाबा के नाम से पहचाना जाने लगा है.

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आचार्य प्रशांत

आईआईटी दिल्ली से इंजीनियरिंग की डिग्री लेने वाले आचार्य प्रशांत ने भी आध्यात्मिकता का रास्ता चुना. उन्होंने अपने कॉर्पोरेट करियर को त्यागकर अध्यात्म की ओर कदम बढ़ाया. आज वह एक प्रतिष्ठित आध्यात्मिक मार्गदर्शक हैं और उन्होंने अध्यात्म पर कई पुस्तकें लिखी हैं.

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संकेत पारिख

आईआईटी बॉम्बे से केमिकल इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त करने वाले संकेत पारिख ने अमेरिका में अपने सफल करियर को छोड़कर जैन संन्यास ले लिया. उनका जीवन साधना, तपस्या और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है. वह जैन दर्शन और शांति की ओर अपने कदमों के लिए जाने जाते हैं.

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महान एमजे

आईआईटी कानपुर और UCLA से पीएचडी करने वाले महान एमजे रामकृष्ण मठ के संन्यासी बन गए. वर्तमान में वे टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, मुंबई में गणित के प्रोफेसर हैं. इससे पहले उन्होंने हाइपरबोलिक ज्योमेट्री और ज्योमेट्रिक ग्रुप थ्योरी में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.

स्वामी मुकुंदानंद

स्वामी मुकुंदानंद आईआईटी दिल्ली के पूर्व छात्र हैं. उन्होंने जगद्गुरु कृष्णपालजी योग की स्थापना की और योग, ध्यान, तथा आध्यात्म पर कई महत्वपूर्ण किताबें लिखी हैं. वे विश्वभर में आध्यात्मिक और कल्याण कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं और लोगों को संतुलित और समृद्ध जीवन जीने के लिए प्रेरित करते हैं.

अविरल जैन

आईआईटी बीएचयू से कंप्यूटर साइंस में स्नातक अविरल जैन ने वालमार्ट में अपनी नौकरी छोड़कर जैन संन्यास लिया. उन्होंने कॉर्पोरेट जीवन को छोड़कर साधना और तपस्या की राह चुनी.

स्वामी विद्यनाथ नंद

आईआईटी कानपुर से स्नातक और UCLA से पीएचडी करने वाले स्वामी विद्यनाथ नंद ने रामकृष्ण मठ से जुड़कर अपने जीवन को आध्यात्मिकता के लिए समर्पित किया. वेदांत और आध्यात्मिक सेवा में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया और ज्ञान के प्रसार में अग्रणी रहे.

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सन्यास महाराज

आईआईटी से स्नातक करने वाले सन्यास महाराज अपने गहरे आध्यात्मिक ज्ञान और मठ समुदाय में योगदान के लिए जाने जाते हैं. उनका जीवन यह दर्शाता है कि आंतरिक शांति और आत्म-साक्षात्कार के लिए समर्पण कितना महत्वपूर्ण है.

ये सभी उदाहरण यह दर्शाते हैं कि भले ही ये लोग शीर्ष संस्थानों से शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं, लेकिन उन्होंने आध्यात्मिक मार्ग पर चलने का फैसला किया. इनका जीवन यह साबित करता है कि भौतिक उपलब्धियों के साथ-साथ आत्मिक उन्नति भी महत्वपूर्ण है.

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