Nirmala Sitharaman: केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को महत्वपूर्ण आर्थिक मुद्दों पर केंद्रित विषयों पर वाशिंगटन में वैश्विक वित्त मंत्रियों और शीर्ष अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुखों के साथ बैक-टू-बैक द्विपक्षीय बैठकें कीं. बता दें कि सीतारमण IMF और विश्व बैंक की वार्षिक बैठकों, G20 वित्त मंत्रियों और सेंट्रल बैंक गवर्नर (FMCBG) की बैठकों में भाग लेने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका की आधिकारिक यात्रा पर हैं. वित्त मंत्री दुनिया भर के कई देशों के साथ द्विपक्षीय बैठकें कर रही हैं. वह OECD, यूरोपीय आयोग और UNDP के नेताओं और प्रमुखों के साथ आमने-सामने की बैठकें भी कर रही हैं.
G20 प्रेसीडेंसी में द्विपक्षीय जुड़ाव और OECD के समर्थन पर चर्चा
IMF-WB से इतर सीतारमण ने मंगलवार को मिस्र, भूटान, नीदरलैंड, सऊदी अरब और दक्षिण कोरिया के मंत्रियों से मुलाकात की. उन्होंने ओईसीडी के महासचिव माथियास कॉर्मन और FATF के अध्यक्ष राजा कुमार से भी मुलाकात की. OECD महासचिव के साथ, वित्त मंत्री ने 2023 में भारत के G20 प्रेसीडेंसी में द्विपक्षीय जुड़ाव और OECD के समर्थन पर चर्चा की. मिस्र की अंतर्राष्ट्रीय सहयोग मंत्री रानिया अल मशात के साथ द्विपक्षीय बैठक करते हुए, सीतारमण ने दोनों देशों में अक्षय ऊर्जा विचारों का आदान-प्रदान किया.
वैश्विक सार्वजनिक सामान, ऋण और जलवायु मुद्दे पर भी चर्चा
सीतारमण ने नीदरलैंड के वित्त मंत्री सिग्रिड काग से भी मुलाकात की और उनसे कहा कि भारत अपने बहुमूल्य योगदान के लिए जी20 प्रक्रिया में नीदरलैंड के साथ जुड़ने के लिए उत्सुक है. मंत्री ने G20 से संबंधित कई एजेंडा जैसे कि वैश्विक सार्वजनिक सामान, ऋण और जलवायु मुद्दे पर भी चर्चा की. सऊदी अरब के वित्त राज्य मंत्री मोहम्मद अल जादान के साथ बैठक में भारत-सऊदी द्विपक्षीय सहयोग के मामलों के साथ कई आर्थिक और वित्तीय मुद्दों पर चर्चा हुई. वहीं, दक्षिण कोरिया के वित्त मंत्री चू क्यूंग-हो के साथ वित्त मंत्री ने अगले साल भारत के G20 प्रेसीडेंसी के लिए दक्षिण कोरिया का समर्थन मांगा.
देश की नीतिगत प्राथमिकताओं को उजागर करना है उद्देश्य
यात्रा के बाद के हिस्से के दौरान, केंद्रीय वित्त मंत्री USIBC और USISPF के साथ ‘भारत-अमेरिका कॉरिडोर में निवेश और नवाचार को मजबूत करने’ और ‘भारत की डिजिटल क्रांति में निवेश’ विषयों पर गोलमेज बैठकों में भाग लेंगी. भारत का प्रमुख व्यापारिक नेताओं और निवेशकों के साथ इन बैठकों का उद्देश्य देश की नीतिगत प्राथमिकताओं को उजागर करना है और एक निवेश गंतव्य के रूप में भारत के आकर्षण को प्रदर्शित करके विदेशी निवेश को सुविधाजनक बनाने के उपायों पर विचार-विमर्श करना है.