Nirmala Sitharaman: यूरोप पर पड़ेगा संभावित मंदी का असर, भारतीय उद्योग जगत से वित्त मंत्री ने की ये अपील
Nirmala Sitharaman: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि विश्व आर्थिक मंच के मुताबिक, 2030 तक भारतीय अर्थव्यवस्था में 140 मिलियन मध्यम आय वाले परिवार व 14 मिलियन उच्च निवल मूल्य वाले व्यक्तिगत परिवार होंगे.
Nirmala Sitharaman: फिक्की (FICCI) के वार्षिक सम्मेलन व 95वें एजीएम में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि विश्व आर्थिक मंच के मुताबिक, 2030 तक भारतीय अर्थव्यवस्था में 140 मिलियन मध्यम आय वाले परिवार व 14 मिलियन उच्च निवल मूल्य वाले व्यक्तिगत परिवार होंगे. ये डेटा बाजार और इसकी संभावित रेखाओं के बारे में बताता है.
संदिग्ध मंदी का यूरोप पर असर पड़ने की संभावना
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साथ ही कहा कि लंबे समय से चली आ रही संदिग्ध मंदी जिसका यूरोप पर असर पड़ने की संभावना है, न केवल निर्यात को प्रभावित करने वाली है. यह हमें ऐसे कई निवेशों का अवसर देता है, जो अब एक अलग जगह की तलाश कर रहे हैं, जहां से उनकी गतिविधियां जारी रह सकें. इसलिए, जितना आप खुद को पश्चिमी दुनिया में लंबे समय से चली आ रही मंदी के लिए तैयार कर रहे हैं, मुझे लगता है कि यह आपके लिए उन निर्माताओं को वहां से भारत लाने के लिए रणनीति बनाने का भी सबसे अच्छा समय है.
The suspected long-drawn recession which is likely to affect Europe is not just going to affect exports. It gives us an opportunity for many of the investments which are therefore now looking for a different place from where their activities can continue to happen: FM Sitharaman pic.twitter.com/mu4rs1GIg4
— ANI (@ANI) December 16, 2022
वित्त मंत्री की भारतीय उद्योग जगत से अपील
केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारतीय उद्योग जगत खुद को पश्चिम और विकसित दुनिया में आर्थिक मंदी के लिए तैयार करे. उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि ये वहां काम कर रहे मैन्युफैक्चरर्स को भारत में लाने की स्ट्रैटेजी बनाने को सबसे अच्छा वक्त है. भले ही उनका हेडक्वार्टर वहां है. लेकिन, उनके लिए यह फायदेमंद हो सकता है कि वो यहां से चीजें खरीदें. उन्होंने कहा कि दुनिया के इस भाग के बाजारों के लिए कम से कम यहां से उत्पादन हो. निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस के नए सेक्टरों पर ध्यान देता रहेगा. दुनिया स्वच्छ एनर्जी की दिशा में परिवर्तन की ओर है. ऐसी स्थिति में डॉमेस्टिक इंडस्ट्री को विकसित देशों की तरफ से भारी शुल्क का सामना करना हो सकता है. भारतीय उद्योग जगत से वित्त मंत्री ने कहा कि वो सरकार को जानकारी दें कि क्लाइमेट चेंज उनको कैसे प्रभावित कर रहा है. वो उनकी लागत पर पड़ने वाले बोझ को कम करने के उपायों को भी सुझाएं.
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