नयी दिल्ली: महज 17 साल की उम्र में कोरोना ने माता-पिता को छीन लिया. माता-पिता के निधन के बाद एलआईसी (Life Insurance Corporation of India) ने वनीशा पाठक को 29 लाख रुपये का नोटिस भेज दिया. लोन रिकवरी एजेंट्स को उसके पीछे लगा दिया. भोपाल की टॉपर वनीशा पाठक (Vanisha Pathak) की रिपोर्ट जब मीडिया में आयी, तो केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पूरे मामले की जांच के आदेश दिये हैं.
निर्मला सीतारमण ने किया ट्वीट
निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने ट्वीट किया कि इस मामले की जांच करें. जांच की जिम्मेवारी डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज (DFS) और भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) को सौंपी गयी है. दरअसल, वनीशा पाठक के पिता भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के एजेंट थे. अपने कार्यालय से होम लोन लिया था. कोरोना के दौरान उनका निधन हो गया.
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एलआईसी ने बढ़ायी वनीशा की परेशानी
वनीशा के सिर से माता-पिता का साया तो उठ ही गया, एलआईसी ने 29 लाख रुपये के भुगतान का नोटिस भी भेज दिया. वनीशा परेशान हो गयी. एलआईसी ने उसके पिता के कमीशन के साथ-साथ उनके तमाम अकाउंट्स पर रोक लगा दिया. 2 फरवरी 2022 को आखिरी बार एक लीगल नोटिस जारी किया, जिसमें कहा गया कि लोन का भुगतान नहीं करने पर कानूनी कार्रवाई के लिए तैयार रहे.
वनीशा ने एलआईसी को लिखा पत्र
वनीशा ने इस संबंध में एलआईसी को पत्र लिखा, लेकिन भारतीय जीवन बीमा निगम के अधिकारी उनकी सुनने को तैयार नहीं हुए. अपने मामा के साथ रह रही वनीशा ने एलआईसी को लिखा, मेरे पापा मिलियन डॉलर राउंड टेबल (MDRT) के सदस्य थे. यह एलआईसी का जाना-माना इंश्योरेंस क्लब है. कोरोना की दूसरी लहर में मेरे मम्मी-पापा सीमा पाठक और जीतेंद्र पाठक का निधन हो गया.
आय के स्रोत हो गये बंद
वनीशा ने आगे लिखा कि वह और उसका 11 साल का भाई विवान अनाथ हो गये हैं. दोनों अभी वयस्क नहीं हुए हैं. इसलिए अपने पिता की पॉलिसी और कमीशन की राशि नहीं निकाल सकते. माता-पिता के निधन की वजह से आय का कोई दूसरा स्रोत भी नहीं है. एलआईसी ने पिता के कमीशन आदि पर पहले ही रोक लगा दी है. सो, कर्ज का भुगतान तभी हो पायेगा, जब मैं यानी वनीशा 18 साल की हो जाऊं.