Niti Aayog: भविष्य में महामारी से निपटने का ब्लूप्रिंट तैयार 

नीति आयोग ने एक्सपर्ट ग्रुप की 'फ्यूचर पैंडेमिक प्रिपेरेडनेस एंड इमरजेंसी रिस्पांस- ए फ्रेमवर्क फॉर एक्शन' नामक रिपोर्ट जारी किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना दुनिया की अंतिम महामारी नहीं कहा जा सकता है. रिपोर्ट में भविष्य में महामारी से निपटने का ब्लूप्रिंट पेश किया गया है.

By Vinay Tiwari | September 11, 2024 7:30 PM
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Niti Aayog: कोरोना महामारी को देखते हुये भविष्य में ऐसी महामारी से निपटने की तैयारियों को लेकर विशेषज्ञों ने एक रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट में भविष्य में स्वास्थ्य सेवा के समक्ष महामारी से निपटने के लिए सरकार कैसे तैयारी करे का ब्लूप्रिंट बताया है. बुधवार को नीति आयोग ने एक्सपर्ट ग्रुप की ‘फ्यूचर पैंडेमिक प्रिपेरेडनेस एंड इमरजेंसी रिस्पांस- ए फ्रेमवर्क फॉर एक्शन’ नामक रिपोर्ट को जारी किया. रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना दुनिया की अंतिम महामारी नहीं कहा जा सकता है. भौगोलिक स्थिति में बदलाव, मौसम और मानव-जानवर-पौधों के बदलते तरीके को देखते हुए बड़े पैमाने पर नये संक्रामक रोग से इंकार नहीं किया जा सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी है कि भविष्य में सार्वजनिक स्वास्थ्य के समक्ष 75 फीसदी चुनौती ऐसे संक्रामक रोगों से होगी. भविष्य में ऐसे संकट से निपटने के उपाय सुझाने को लेकर नीति आयोग ने एक्सपर्ट ग्रुप का गठन किया. ग्रुप को यह समीक्षा करनी थी कि कोरोना का प्रबंधन देश और दुनिया में कैसे किया गया, सफल स्टोरी से क्या सीखा जा सकता है और चुनौतियों से निपटने के लिए कैसे कमियों को दूर किया जा सकता है. इन चुनौतियों की समीक्षा कर भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए ब्लूप्रिंट तैयार किया गया है. 


महामारी से निपटने के लिए पहले 100 दिन महत्वपूर्ण

रिपोर्ट में कहा गया कि कोरोना से निपटने के लिए भारत ने रिसर्च और डेवलपमेंट फ्रेमवर्क को मजबूत किया और कई तरह के नये प्रयोग किए गये. रिसर्च के लिए उद्योगों से फंडिंग, संसाधनों का समुचित प्रयोग, डेटा शेयरिंग की नीति और दिशा निर्देश, वैश्विक सहयोग, निजी-सरकारी भागीदारी को बढ़ावा दिया गया. महामारी से निपटने के लिए डिजिटल टूल का प्रयोग और टीकाकरण किया गया. इस दौरान 140 लोगों के डेटा का बेहतर प्रबंधन हुआ. रिपोर्ट में महामारी से निपटने का 100 दिन का एक्शन प्लान बताया गया है. इस दौरान कैसी तैयारी हो, क्रियान्वयन कैसे हो और महामारी को कैसे ट्रैक, टेस्ट और ट्रीट किया जा सकता है. इसके लिए गवर्नेंस, कानून, फंडिंग और प्रबंधन, डेटा प्रबंधन, सर्विलांस, रिसर्च, क्षमता विकास, कौशल विकास, सामुदायिक सहयोग, निजी क्षेत्र की भागीदारी और वैश्विक सहयोग पर जोर देने की बात कही गयी है. साथ ही देश की स्वास्थ्य सेवा के समक्ष कमियों को दूर करने और ऐसे हालात में एकीकृत तरीके से कदम उठाने की बात कही गयी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि किसी भी महामारी से निपटने के लिए 100 दिन काफी मायने रखता है. 

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