नयी दिल्ली : कोरोना वायरस महामारी को फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन के कारण देश में इस संक्रमण से होने वाली मौतें कुछ ही इलाकों में खासकर शहरी इलाकों तक सीमित रही. सरकार ने यह जानकारी दी. सरकार ने कहा कि अगर लॉकडाउन लागू नहीं किया जाता तो कोविड-19 के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी होती. इसने कहा कि लॉकडाउन से पहले जहां मामले दोगुना होने में औसतन तीन दिन से अधिक समय लगता था, वहीं इसके बाद अब यह समय 13 दिन से अधिक हो गया है. नीति आयोग के सदस्य वी के पॉल ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इतना विशाल देश होने के बावजूद, लॉकडाउन के कारण वायरस का संक्रमण कुछ इलाकों तक सीमित रहा.
एजेंसी भाषा के मुताबिक उन्होंने कहा कि बृहस्पतिवार तक संक्रमण के जितने भी मामले सामने आये हैं, उनमें से करीब 80 फीसदी पांच राज्यों—महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात, दिल्ली एवं मध्य प्रदेश— में हैं और 90 फीसदी मामले दस राज्यों में है. पॉल ने कहा कहा कि इसके अलावा 60 प्रतिशत मामले केवल पांच शहरों में है, जिनमें मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, अहमदाबाद एवं ठाणे शामिल हैं और 70 प्रतिशत से अधिक कोरोना संक्रमण के मामले दस शहरों में है. जहां तक इससे होने वाली मौत का मामला है, पॉल ने कहा कि उनमें से 80 फीसदी मौत पांच राज्यों — महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल एवं दिल्ली — में हुयी है और करीब 95 प्रतिशत मौत दस राज्यों में हुयी है.
उन्होंने कहा कि आप कह सकते हैं कि यह बीमारी शहरी जिलों का है और पांच शहरों में करीब 60 फीसदी मौत हुयी है जिनमें मुंबई, अहमदाबाद, पुणे, दिल्ली एवं कोलकाता शामिल हैं. 70 प्रतिशत मौत दस शहरों में हुयी है. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान की गयी कार्रवाई के कारण कोविड—19 सीमित हो गया है. इसने हमें भविष्य के लिये तैयार रहना सिखाया है. पॉल ने बताया कि देश में एक लाख 85 हजार 306 बिस्तरों वाला 1093 अस्पताल ऐसे मरीजों की जांच पड़ताल के लिये तैयार किया गया है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा ऑक्सीजन सुविधा के साथ एक लाख 38 हजार 652 बिस्तरों वाला कोविड—19 के लिए समर्पित 2403 स्वास्थ्य केंद्र तैयार हैं. पॉल ने कहा कि लॉकडाउन करीब दो महीना पूरा करने वाला है, और यह अनिश्चितकाल तक नहीं रहेगा, इसने अपना लक्ष्य हासिल कर लिया है.