Nitin Gadkari: लोकतंत्र में शासक असहमति को करता है बर्दाश्त, नितिन गडकरी ने आखिर ऐसा क्यों कहा
Nitin Gadkari: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि लोकतंत्र में शासक असहमति को बर्दाश्त करता है. उनके इस बयान के बाद चर्चा का बाजार गरम है.
Nitin Gadkari: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने ऐसा बयान दिया है जिसकी चर्चा लोगों के बीच जोरों पर होने लगी है. महाराष्ट्र के पुणे में उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की सबसे बड़ी परीक्षा यह है कि शासक अपने खिलाफ व्यक्त की गई सबसे मजबूत राय को भी बर्दाश्त करता है और इसपर आत्मचिंतन करता है. केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी में एक पुस्तक विमोचन समारोह में उक्त बातें कही. गडकरी ने कहा कि लेखकों और बुद्धिजीवियों को निडर होकर अपनी बात रखनी चाहिए. लोकतंत्र की सबसे बड़ी परीक्षा यह है कि राजा अपने खिलाफ व्यक्त की गई सबसे मजबूत राय को भी बर्दाश्त करता है और उस पर आत्मचिंतन करता है.
नितिन गडकरी ने कहा कि हम न तो दक्षिणपंथी हैं, न ही वामपंथी… हम अवसरवादी हैं. लेखकों और बुद्धिजीवियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे बिना किसी डर के अपनी राय व्यक्त करें. उन्होंने यह भी कहा कि जब तक अस्पृश्यता और सामाजिक हीनता की धारणाएं खत्म नहीं हो जातीं, तब तक राष्ट्र निर्माण का कार्य पूरा नहीं माना जा सकता.
संघ से है नितिन गडकरी का गहरा नाता
2024 लोकसभा चुनावों में जहां बीजेपी को कम सीटें आईं थीं. वहीं दूसरी ओर नागपुर लोकसभा सीट से बीजेपी के नेता और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने जीत दर्ज की थी. नितिन गडकरी के हमेशा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से हमेशा अच्छे रिश्ते रहे हैं. यह भी संयोग है कि वह जिस लोकसभा का प्रतिनिधित्व करते हैं. संघ का मुख्यालय भी उसी एरिया में आता है. चुनाव से पहले ऐसी चर्चा जोरों पर थी कि गडकरी को लेकर कुछ बड़ा फैसला किया जा सकता है.
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नितिन गडकरी ने लगाई हैट्रिक
नितिन गडकरी पहली बार 2014 में चुने गए तब ऐसा कहा जा रहा था कि मोदी लहर की वजह से उन्होंने कांग्रेस के नेता विलास मुत्तेमवार को हराया. 2019 लोकसभा चुनावों में नितिन गडकरी ने महाराष्ट्र कांग्रेस के मौजूदा अध्यक्ष नाना पटोले को पराजित किया. हालांकि उनकी जीत का मार्जिन 2014 की तुलना में घट गया था. इस बार इस जीत से उनकी हैट्रिक लग गई.
(इनपुट पीटीआई)