नितिन गडकरी के जिस यूज एंड थ्रो के बयान से सोशल मीडिया में BJP की हो रही किरकिरी, यहां समझिए अनमोल ज्ञान

नितिन गडकरी ने कहा कि उस समय मेरा एक दोस्त था. आईआईटी में गया था, तो उसने मुझे एक किताब दी थी. उस समय हमलोग चुनाव हारते ही थे. रिचर्ड निक्सन की जीवनी थी. उसमें एक सुंदर वाक्य था, जो मेरे लिए उपयोगी था और आपके जीवन में भी उपयोगी होगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 31, 2022 1:58 PM

नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी द्वारा अभी हाल के दिनों में अपने गृहनगर नागपुर में उद्यमियों के एक कार्यक्रम के दौरान दिया गया ‘यूज एंड थ्रो’ वाला बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. उनके सीधे-सादे इस बयान वाले वीडियो को सोशल मीडिया शेयर करते हुए भाजपा पर निशाना साधा जा रहा है. माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्वीटर पर उनके वीडियो को ट्वीट और रिट्वीट करते हुए कहा जा रहा है, ‘तीन मिनट से भी कम समय में अनमोल ज्ञान.’

उद्यमियों के कार्यक्रम के दौरान हालांकि केंद्रीय मंत्री ने अपने एक मित्र का उदाहरण देते हुए यह भी कहा, ‘उनके मित्र ने उस समय कांग्रेस में शामिल होने का सुझाव दिया था. मैंने उससे यही कहा कि कुंए में कूद जाऊंगा, लेकिन कांग्रेस ज्वाइन नहीं करूंगा, क्योंकि उसकी विचारधारा मुझे पसंद नहीं है.’ इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि किसी को भी ‘यूज एंड थ्रो’ के दौर में नहीं शामिल होना चाहिए. अच्छे दिन हों या बुरे दिन, जब एक बार किसी का हाथ थाम लें, उसे थामें रहें. उगते सूरज की पूजा न करें.’ उनके इस बयान की आड़ में सोशल मीडिया पर भाजपा पर निशाना साधा जा रहा है.

‘यूज एंड थ्रो’ वाला काम नहीं करना चाहिए

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने नागपुर में उद्यमियों के एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि जब आपको सक्सेस मिलता है, उसकी खुशी केवल आपको अकेले की होगी तो उसका कोई महत्व नहीं है. पर, जब आपको सक्सेस मिलता है और आपको खुशी होती है, तो आपसे ज्यादा आपके साथ काम करने वाले जो छोटे-बड़े लोग हैं, उनको होती है. यही सफलता का असली महत्व है. उन्होंने आगे कहा कि मैं पहली बात यह कहूंगा कि ह्यूमैन रिलेशनशिप विद बिजनेस, सोशल वर्क एंड पॉलिटिक्स. इसलिए कभी भी ‘यूज एंड थ्रो’ वाला काम नहीं करना चाहिए. अच्छे दिन हों, बुरे दिन हों, जिसका हाथ एक बार पकड़ा है, दोस्त है तो उसे पकड़कर रखो. परिस्थिति के अनुसार उगते सूर्य को नमस्कार मत कीजिए.

कुंए में जान दे दूंगा, पर कांग्रेस में नहीं आऊंगा

गडकरी ने अपने संबोधन में आगे कहा कि मानवीय संबंध ही सबसे बड़ी मजबूती है और फिर अन्य कोई दूसरा. उन्होंने कहा कि नागपुर में मैं स्टुडेंट लीडर था. श्रीकांत जिचकर मेरे मित्र थे. एक दिन उन्होंने मुझसे कहा कि यार, नितिन तुम बहुत अच्छे व्यक्ति हो और तुम्हारा राजनीतिक भविष्य भी बेहतर है, लेकिन तुम गलत पार्टी में हो. तुम कांग्रेस में आओ. मैंने कहा कि श्रीकांत मैं कुंए में जान दे दूंगा, लेकिन कांग्रेस में नहीं आऊंगा, क्योंकि मैं कांग्रेस पार्टी की विचारधारा को कभी पसंद नहीं करता. इस पर श्रीकांत ने कहा कि तुम्हारी पार्टी का कोई भविष्य नहीं है. मैंने कहा कि नहीं है तो नहीं है.

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आदमी युद्धभूमि में हारने पर कभी समाप्त नहीं होता

नितिन गडकरी ने कहा कि उस समय मेरा एक दोस्त था. आईआईटी में गया था, तो उसने मुझे एक किताब दी थी. उस समय हमलोग चुनाव हारते ही थे. रिचर्ड निक्सन की जीवनी थी. उसमें एक सुंदर वाक्य था, जो मेरे लिए उपयोगी था और आपके जीवन में भी उपयोगी होगा. उसमें लिखा था, ‘आदमी युद्धभूमि में हारने पर कभी समाप्त नहीं होता, पर युद्धभूमि छोड़कर जब भाग जाता है तब समाप्त हो जाता है. लड़ना चाहिए… और लड़ने में पॉजिटिविटी चाहिए.’ उन्होंने कहा कि अहंकार और सेल्फ कॉन्फिडेंस दो शब्दों में अंतर है. आत्मविश्वास होना चाहिए, पॉजिटिविटी होनी चाहिए… पर, अहंकार और अभिनिवेश नहीं होना चाहिए.

क्वालिटी पर किसी का पेटेंट नहीं

उन्होंने आगे कहा कि सबसे महत्वपूर्ण यह है कि कोई यह दावा नहीं कर सकता है कि वह पूरी से परफेक्ट है… उत्तम, अधिक उत्तम, सर्वोत्तम, इनफिनिटी. छोटे-छोटे लोगों से भी बातें सीखने को मिलती हैं और मैं ये मानता हूं कि अच्छाई पर, क्वालिटी पर किसी का पेटेंट नहीं है. हमारे ही दोस्त-मित्रों से बात करते-करते अच्छी-अच्छी बातें सीखने को मिलती हैं. बहुत सी नई-नई बातें सीखने को मिलती हैं. पर अगर हम इसे अपने पर्सनलिटी में ला सकें, तब हम अपने आपको सुधार सकते हैं.

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