नीतीश-नायडू सत्ता के सूत्रधार, दिल्ली में एनडीए की बैठक में शामिल होंगे जदयू व टीडीपी, ‘इंडिया’ की भी मीटिंग आज

नीतीश हाल में ही भाजपा के साथ आये हैं. हालांकि इन दोनों से भाजपा का रिश्ता बहुत पुराना है. नीतीश और चंद्रबाबू अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में सहयोगी रहे थे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 5, 2024 10:03 AM
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आम चुनाव की छह हफ्ते लंबी चली प्रक्रिया के बाद मंगलवार को लोकसभा चुनाव की मतगणना में 543 सीटों के परिणाम आ गए हैं. भाजपा की अगुआई वाले एनडीए को स्पष्ट बहुमत प्राप्त हुआ है. हालांकि, भाजपा बहुमत से काफी दूर रही.

नीतीश कुमार, चंद्रबाबू नायडू सरकार बनाने में होंगे अहम

एनडीए को 292 सीटों पर जीत मिली है, विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ ने 234 सीटें जीतीं हैं. इससे यह साफ संकेत मिल रहे हैं कि इस बार एनडीए का सामना एक मजबूत विपक्ष से हो सकता है. भाजपा 240 सीटें जीत चुकीं हैं. ऐसी स्थिति में बिहार के सीएम नीतीश कुमार और आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम चंद्रबाबू नायडू को सत्ता सूत्रधार माना जा रहा है.

बिहार में भाजपा और जदयू ने जीती 12-12 सीटें, लोजपा ने 5

भावी सरकार की मजबूती में दोनों की भूमिका अहम मानी जा रही है. बिहार में, भाजपा 12 और उसकी सहयोगी जदयू 12 सीटों पर चुनाव जीत चुकी है. लोजपा (आर) ने भी अपने कोटे की पांचों सीटें जीत ली हैं. आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली टीडीपी 25 में से 16 सीटों पर, भाजपा तीन पर सीटों पर आगे चल रही थी.

हाल ही में भाजपा के साथ आए नीतीश कुमार और नायडू

नायडू और नीतीश हाल में ही भाजपा के साथ आये हैं. हालांकि इन दोनों के साथ भाजपा का रिश्ता बहुत पुराना रहा है. लोकसभा चुनाव के कुछ समय पहले ही भाजपा ने बिहार में जदयू को अपने साथ लाकर सरकार बनायी थी, हालांकि नेतृत्व नीतीश कुमार के पास ही रहा.

नायडू ने आंध्रप्रदेश में की है बड़ी राजनीतिक वापसी

इसी तरह आंध्र प्रदेश को फतह करनेवाले चंद्रबाबू नायडू ने भी अपनी बड़ी राजनीतिक वापसी की है और केंद्र में भी भाजपा के सहयोगी तौर पर इतनी सीटें तो जीती ही है कि गठबंधन सरकार में उनका रहना जरूरी है. नीतीश और चंद्रबाबू की पार्टी भाजपा की पूर्व की अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में सहयोगी रहे थे.

लोकसभा चुनाव के जनादेश के मायने

  • एनडीए को 400 पार और पार्टी को 370 पार ले जाने की भाजपा की रणनीति कामयाब नहीं हो पायी
  • गठबंधन की अहमियत का दौर 10 साल बाद फिर लौटा, भाजपा अकेले अब नहीं बना सकती सरकार
  • एग्जिट पोल्स की हवा निकली, रुझानों अथवा नतीजों में एनडीए उससे तकरीबन 100 सीट पीछे

चुनाव किसके लिए रहा उत्साहजनक

  • इसके पीछे कई चेहरे हैं. जैसे- राहुल गांधी. कांग्रेस 2014 में 44 और 2019 में 52 सीटों पर थी, तो उन्हें जिम्मेदार माना गया.
  • दूसरा बड़ा नाम है अखिलेश यादव का, 2019 में सपा को सिर्फ पांच सीटें मिली थीं, इस बार कांग्रेस से हाथ मिलाया, 34 पर जीते.
  • तीसरा बड़ा नाम हैं चंद्रबाबू नायडू. टीडीपी आंध्र प्रदेश में सरकार बनने के करीब है और एनडीए के सबसे अहम घटक दलों में से एक रहेगी.

भाजपा के लिए खेल बिगाड़ने वाला साबित हुआ उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश ऐसा राज्य है, जो लोकसभा में 80 सांसदों को भेजता है. भाजपा के लिए पिछले दो लोकसभा चुनावों में यह राज्य खेल बदलने वाला साबित हुआ है. सपा और कांग्रेस के गठबंधन ने भाजपा विरोधी वोटों को एकजुट करके भाजपा को उसके सबसे मजबूत गढ़ में मात दे दी है. पिछली बार 62 सीटों पर जीत हासिल करने वाली भाजपा इसबार सिर्फ 33 सीटें जीत चुकी है. अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सपा 37 सीटों पर बढ़त बनाये हुए है. साल 2019 में उसे सिर्फ पांच सीटों पर जीत मिल सकी थी. कांग्रेस छह सीटें जीतने की दिशा में आगे बढ़ रही है.

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