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Nizamuddin Corona case: झूठ बोलकर भारत का वीजा लेते हैं तबलीगी जमात के लोग? इन सवालों का जवाब कौन देगा

कोरोनावायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए इतनी चाकचौबंद व्यवस्था का दावा और लॉकडाउन के सख्ती से पालन का ऐलान किया गया है तो फिर इतनी बड़ी संख्या में लोगों के इकट्ठा होने की जानकारी क्यों नहीं किसी को लगी. आखिर इसका जिम्मेदार कौन है? पूरे मामले में दिल्ली सरकार सवालों के घेरे में हैं.

देश में कोरोनावायरस के मरीजों की बढ़ती संख्या के बीच एक बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है. और ये मुसीबत खड़ी हुई लॉकडाउन के दौरान दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन स्थित मरकज में तबलीग-ए-जमात में हजार से ज्यादा लोगों के रहने से. 14-15 मार्च को यहां हुए कार्यक्रम के बाद कई लोग तो चले गए मगर हजार से ज्यादा लोग यहीं रह गए. संकट तब पैदा हो गया जब इस मरकज में शामिल हुए 10 लोगों की मौत कोरोना से हो गई. बीती रात से अब तक मरकज में मौजूद लोगों में से 24 में संक्रमण की पुष्टि हुई है. 300 से ज्यादा लोग कोरोना के संदिग्ध हैं तो वहीं 700 लोगों का दिल्ली के अलग अलग अस्पतालों में जांच जारी है. बुरी खबर यह है कि इस जमात में शामिल हुए लोग देश के कई राज्यों में गए हैं.

तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और अंडमान निकोबार में ऐसे लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. सूत्रों के हवाले से खबर मिल रही है कि तबलीगी जमात के नाम पर किसी विदेशी को वीजा नहीं दिया जाता है. तबलीगी जमात में शामिल लोग भारत आने के दौरान वीजा में इन जानकारियों को छुपाते हैं. वीजा में ज्यादातर मामलों में ये बताया जाता है कि वो भारत घूमने जा रहे हैं. सूत्रों ने बताया कि निजामुद्दीन से लेकर पूरे देश मे तबलीगी जमात के लोग मौजूद हैं जिनमें इंडोनेशिया से लेकर कई विदेशी नागरिक भी शामिल हैं. बताया जा रहा है कि फरवरी महीने में मलेशिया में हुए तबलीगी जमात से पूरे मलेशिया में कोरोना वायरस फैला. भारत में मौजूद कई तबलीगी जमात के लोग मलेशिया से वापस लौटे हैं जिनसे कोरोना फैलने का खतरा बढ़ गया है. इस पूरे मामले ने केंद्र सरकार की चिंता बढ़ा दी है.

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सरकार इसे कोरोना के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ी चुनौती मान रही है. पूरे हालात की समीक्षा करने के लिए ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की बैठक बुलाई गई है. जिसमें ये फैसला लिया जाएगा कि इस चुनौती से किस तरह से निपटा जाए. आपको बता दें इस जमात में दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन स्थित मरकज में मलेशिया, इंडोनेशिया, सऊदी अरब और किर्गिस्तान सहित 2,000 से अधिक प्रतिनिधियों ने एक से 15 मार्च तक तब्लीग-ए-जमात में हिस्सा लिया था. फिलहाल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तब्लीगी जमात की अगुवाई कर रहे मौलाना के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है और आसपास की कॉलोनियों में घर-घर जाकर कोरोनावायरस का पता लगाने का अभियान शुरू किया गया.

सबसे बड़ा सवाल

सवाल इस बात का है कि जब कोरोनावायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए इतनी चाकचौबंद व्यवस्था का दावा और लॉकडाउन के सख्ती से पालन का ऐलान किया गया है तो फिर इतनी बड़ी संख्या में लोगों के इकट्ठा होने की जानकारी क्यों नहीं किसी को लगी. आखिर इसका जिम्मेदार कौन है? पूरे मामले में दिल्ली सरकार सवालों के घेरे में हैं.

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