दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित तबलीगी जमात के मरकज का कोरोना कनेक्शन सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है. अबतक निजामुद्दीन इलाके में आयोजित धार्मिक कार्यक्रम में हिस्सा ले चुके 10 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें एक विदेशी भी शामिल है. इनमें अब तक सबसे ज्यादा छह मौते तेलंगाना से हैं. निजामुद्दीन मरकज वाले इलाके को सील कर दिया गया है. इनके संपर्क में आए 1600 लोगों को पुलिस तलाश रही है. दिल्ली स्वास्थ्य विभाग और विश्व स्वास्थय संगठन की टीम ने इलाके का दौरा किया है.कोरोनावायरस के चलते मरकज से अब तक कुल 860 लोगों को निकालकर अलग-अलग अस्पतालों में पहुंचाया जा चुका है. वहीं अभी 300 और लोगों को निकाल कर अस्पताल ले जाया जाएगा. एक मार्च और 14 मार्च के अवधि के बाद भी 1,400 लोग यहां रुके हुए थे.
बीते दिन सोमवार को निजामुद्दीन स्थित मरकज में शामिल होने वाले छह लोगों की तेलंगाना में कोरोनावायरस से मौत हो गई. उधर, अंडमान में 10 लोगों की रिपोर्ट में कोरोनावायरस संक्रमण की पुष्टि हुई है. इन 10 में 9 लोग वह हैं जो दिल्ली कि मरकज में शामिल हुए थे. 10वीं संक्रमित महिला भी इन्हीं में से एक पत्नी है जो दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज में शामिल हुए थे. भर्ती लोगों में लगभग 250 ऐसे हैं जिनमे कोरोनावायरस के लक्षण दिखाई दे रहे हैं. कुछ लोगों को खांसी जुखाम और तेज बुखार की शिकायत है. पुलिस ने महामारी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया है. बताया जा रहा है कि इस कार्यक्रम में करीब दो हजार लोग शामिल हुए थे. जमात के मरकज में आए जिस शख्स की मौत हुई थी, अब उसके परिवार को क्वारनटीन कर लिया गया है. इसके साथ ही तेलंगाना और तमिलनाडु में निजामुद्दीन स्थित मरकज आए लोगों की तलाश शुरू हो गई है. तेलंगाना में 194 लोगों को क्वारनटीन किया गया, जबकि तमिलनाडु में 981 लोगों की पहचान कर ली गई और इनका टेस्ट किया जा रहा है.जमात के विदेशी मेहमानों में ज्यादातर मलेशिया और इंडोनेशिया के नागरिक हैं. दिल्ली आने से पहले ये ग्रुप 27 फरवरी से 1 मार्च के बीच मलेशिया की राजधानी क्वालालंपुर में एक धार्मिक जलसे में शामिल हुआ था. इस जमात के कई लोगों के कोरोना से पीड़ित होने के मामले सामने आ चुके हैं. प्रशासन को जैसे ही इनका पता चला हड़कंप मच गया.
जानकारों की मानें तो भारत में तब्लीगी जमात का केंद्र निजामुद्दीन मरकज है. देश ही नहीं पूरी दुनिया से जमात (धार्मिक लोगों की टोली, जो इस्लाम के बारे में लोगों को जानकारी देने के लिए निकलते हैं) निजामुद्दीन मरकज पहुंचती है. मरकज में तय किया जाता है कि देशी या विदेशी जमात को भारत के किस क्षेत्र में जाना है. दरअसल, तबलीगी का मतलब अल्लाह की कही बातों का प्रचार करने वाला होता है. वहीं जमात का मतलब होता है एक खास धार्मिक समूह. यानी धार्मिक लोगों की टोली, जो इस्लाम के बारे में लोगों को जानकारी देने के लिए निकलते हैं. मरकज का मतलब होता है बैठक या फिर इनके मिलने का केंद्र. हजरत मौलाना इलियास कांधलवी ने 1926-27 में सुन्नी मुसलमानों के संगठन तबलीगी जमात की स्थापना दिल्ली में निजामुद्दीन स्थित मस्जिद से की थी. यहीं जमात का मुख्यालय है. इस्लाम की शिक्षा देने के लिए इलियास शुरुआत में हरियाणा के मेवात के मुस्लिम समुदाय के लोगों को पहली जमात में ले गए थे.
जमात से जुड़े लोगों का दावा है कि जमात दुनिया के 213 मुल्कों में फैली है और इससे दुनियाभर के 15 करोड़ लोग जुड़े हैं. बिना सरकारी मदद के संगठन का संचालन करने का दावा करते हुए इन लोगों ने बताया कि जमात अपना अमीर (अध्यक्ष) चुनती है और लोग उसी की बात मानते हैं. कहा जाता है कि यह सुन्नी मुस्लिमों का संगठन है. जमात का पहला धार्मिक कार्यक्रम 1941 में भारत में हुआ था. इसमें 25000 लोग शामिल हुए थे. 1940 तक जमात का कामकाज सिर्फ भारत तक ही था. इसके बाद जमात की शाखाएं पाकिस्तान और बांग्लादेश में खुल गईं. जमात हर साल देश में एक बड़ा कार्यक्रम करती है, जिसे इज्तेमा कहते हैं.
मरकज की तरफ से मौलाना यूसुफ ने सफाई दी है कि लॉकडाउन लागू होने से पहले ही वहां पर देशी विदेशी गेस्ट ठहरे हुए थे. लिहाजा उन्होंने सरकार के आदेश का पालन किया कि जो जहां है वहीं ठहरे. मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच कर रही पुलिस मास्क, ग्लब्स समेत सारे एहतियात बरत रही है. वहीं पूरे इलाके की ड्रोन से निगरानी की जा रही है. मरकज से जुड़े मामले में साउथ-ईस्ट दिल्ली के डीसीपी आरपी मीणा ने कहा कि हमने कार्यक्रम को रद्द और भीड़ न एकत्रित करने को लेकर 2 बार नोटिस (23 मार्च और 28 मार्च ) दिया था. साथ ही आग्रह किया था कि कोरोना महामारी फैली है, इसलिए कार्यक्रम का आयोजन रद्द कर दें. लेकिन नोटिस देने के बाद भी कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जो लॉकडाउन के आदेशों का उल्लंघन है. अब दिल्ली पुलिस इस मामले में कार्रवाई करेगी.
बता दें कि यहां पर कार्यक्रम 1 मार्च से 15 मार्च के बीच था, लेकिन विदेशों से आए लोग रुके हुए थे. जबकि दिल्ली पुलिस का कहना है कि इन्हें 23 और 28 मार्च को नोटिस दिया गया. इस बारे में जमात के मौलाना यूसुफ ने सफाई दी है कि लॉकडाउन लागू होने से पहले ही वहां पर देशी विदेशी गेस्ट ठहरे हुए थे. लिहाजा उन्होंने सरकार के आदेश का पालन किया कि जो जहां है, वहीं पर ठहरा रहे.