कोरोना वायरस के खिलाफ भारत की जंग को तबलीगी जमात की लापरवाही से बड़ा झटका लगा है. दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज से जुड़े कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. मरकज में शामिल हुए लोगों से अपील की जा रही है कि वो सामने आएं और अपनी जांच करायें. इस बीच असम सरकार ने निजामुद्दीन मरकज में शामिल हुए तबलीगी जमात के लोगों को जल्द से जल्द अस्पताल में भर्ती होकर जांच कराने का आदेश दिया है. अगर इस आदेश का पालन नहीं किया जाएगा तो उनपर गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया जाएगा. सरकार ने अंतिम चेतावनी देते हुए कहा है कि मंगलवार तक अगर वह किसी भी अस्पताल में भर्ती नहीं होते हैं तो उनपर कड़ी कार्रवाई करते हुए गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया जाएगा.
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रिपोर्ट के मुताबिक जमात के ज्यादातर सदस्य अबतक अस्पताल में स्वास्थ्यकर्मियों से संपर्क नहीं किया और वह छिपे हुए हैं. असम सरकार ने इन्हें ढू़ढ़ने के लिए बहुत बड़ा तलाशी अभियान चलाया है. जमात के लोगों के संपर्क में जो लोग आए हैं उन्हें भी हिदायत दी गई है कि वह जल्द से जल्द जांच के लिए सामने आएं. रविवार को असम के दारंग जिले में महाराष्ट्र से आए तबलीगी जमात के 9 सदस्यों का पता चला था, जिन्होंने पुलिस को इस बारे में कोई सूचना नहीं दी थी. इन्हें बाद में पुलिस ने पकड़ लिया.
गौरतलब है कि अब तक असम में कोरोनावायरस के 26 संक्रमित मामले सामने आए हैं, जिनमें 25 किसी न किसी तरह से तबलीगी जमात से जुड़े हुए हैं. अभी तक सरकार ने इनलोगों के मोबाइल का लोकेशन ट्रैक करते हुए 800 लोगों की पहचान की है, जो निजामुद्दीन मरकज में शामिल हुए थे. राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बावजूद निजामुद्दीन मरकज स्थित मुख्यालय में पिछले सप्ताह तबलीगी जमात के 2,300 से ज्यादा सदस्यों के रहने की बात सामने आने के बाद देशभर में इनकी पहचान करने की कवायद शुरू की गयी थी. निजामुद्दीन मरकज में पिछले महीने हुए धार्मिक आयोजन में देश-विदेश से कम से कम 9,000 लोगों ने हिस्सा लिया था.
निजामुद्दीन मरकज मुद्दे पर जमीयत-उलमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की. याचिका में कहा गया है कि मीडिया के एक वर्ग में इस मामले का सांप्रदायिकरण किया जा रहा है. याचिका में कहा गया है कि इससे भारत के पूरे मुस्लिम समुदाय का जीने का अधिकार प्रभावित हो रहा है. याचिका में केंद्र सरकार को निर्देश देने को कहा गया है कि वो मीडिया में इस तरह की फेक न्यूज को रोकने के लिए कदम उठाए. याचिका में ये भी कहा गया है कि सरकार ऐसी फेक न्यूज चलाने वाले मीडिया के वर्ग की पहचान करे और उसके खिलाफ कार्रवाई करे.