अविश्वास प्रस्ताव (no confidence motion updates ) पर चर्चा में भाग लेते हुए एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि एक तरफ ‘चौकीदार’ है और दूसरी तरफ ‘दुकानदार’ है, लेकिन जब अल्पसंख्यकों पर जुल्म होता है तो किसी का मुंह नहीं खुलता.
ओवैसी ने चर्चा के दौरान कहा कि इन्हें यह समझना चाहिए कि इनकी दुकानदारी तबतक ही चलेगी जबतक इन्हें जनता का समर्थन प्राप्त है, जिस दिन जनता इनसे नाराज हो गयी इनकी दुकानदारी और चौकादारी दोनों ही बंद हो जायेगी. ओवैसी ने कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार के लिए अल्पसंख्यक मायने नहीं रखते. इनके लिए बिलकिस बानो भारत की बेटी नहीं है. अगर यह सच नहीं है तो क्यों उसके दोषियों को रिहा कर दिया गया.
ओवैसी ने कहा कि भारत एक गुलदस्ते की तरह है, जिसमें विभिन्न धर्म और जाति के लोग रहते हैं और यही इस देश की सुंदरता भी है, जिसे मिटाने की कोशिश बीजेपी कर रही है और इनका विरोध करने का नाटक कांग्रेस कर रही है. अगर एेसा नहीं है तो क्यों कांग्रेस ने यूएपीए कानून का समर्थन किया.
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री को इन सवालों का जवाब देना होगा कि उनके लिए हिंदुत्व बड़ा है या फिर देश. अगर देश बड़ा है तो फिर उन्हें देश के हर नागरिक के अधिकारों की रक्षा करनी होगी. ओवैसी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले लोकसभा चुनाव से पहले ट्विटर पर अपने नाम के आगे ‘चौकीदार’ लगाया था. राहुल गांधी ने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान ‘नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान’ खोलने का नारा दिया था. लेकिन मैं चौकीदार और दुकानदार दोनों से यह कहना चाहता हूं कि अगर आप जुल्म के खिलाफ आवाज नहीं उठाएंगे तो दुकानदारी नहीं चलेगी और चौकीदार बदल जाएगा.
ओवैसी ने ट्रेन नूंह हिंसा सहित अल्पसंख्यकों से जुड़े की अन्य मामलों का जिक्र भी किया, जिसमें एक पुलिसकर्मी द्वारा चार लोगों की हत्या, ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे और सामान नागरिक संहिता जैसे मुद्दे शामिल हैं. ज्ञात हो कि आज अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा का तीसरा दिन है. आज इस प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जवाब देंगे.
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गौरतलब है कि आज कांग्रेस की तरफ से अधीर रंजन चौधरी ने चर्चा में हिस्सा लिया और पीएम मोदी को मणिपुर हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए उनपर टिप्पणी की, जिसे लेकर लोकसभा में जमकर हंगामा हुआ. अधीर रंजन चौधरी ने यह भी कहा कि यह संसदीय परंपरा की ताकत है कि हम आज अविश्वास प्रस्ताव के जरिये प्रधानमंत्री को सदन में मणिपुर मामले पर बोलने के लिए बाध्य करके संसद तक ले आये हैं.