Coronavirus Lockdown : रसोई गैस को लेकर चिंतित हैं, तो पढ़ें ये खबर
Coronavirus Lockdown : रसोई गैस की बुकिंग के बाद समय पर कई इलाके में होम डिलिवरी नहीं होने के कारण लोग परेशान हैं. ऐस ग्राहकों के एक अच्छी खबर आयी है.
Coronavirus Lockdown : रसोई गैस की बुकिंग के बाद समय पर कई इलाके में होम डिलिवरी नहीं होने के कारण लोग परेशान हैं. ऐस ग्राहकों के एक अच्छी खबर आयी है. यदि वे ये सोचकर परेशान हैं कि लॉकडाउन के दौरान एलपीजी का स्टॉक सरकार के पास खत्म हो गया तो घर का चूल्हा कैसे जलेगा ? तो इसका जवाब आईओसी अध्यक्ष संजीव सिंह ने रविवार को दिया है.
आईओसी अध्यक्ष ने कहा है कि भारत में ईंधन का कोई संकट नहीं है, लॉकडाउन (बंद) की अवधि से पहले ही पर्याप्त मात्रा में पेट्रोल, डीजल, एलपीजी उपलब्ध है. देश में अप्रैल तक हर उपभोक्ता की जरूरत के लिए पेट्रोल, डीजल, एलपीजी का पर्याप्त भंडार है. आगे उन्होंने कहा कि एलपीजी की आपूर्ति पर लोगों को घबराने की कोई जरूरत नहीं है, हम मांगे गये भंडार को 100 फीसदी भर रहे हैं. एलपीजी बॉटलिंग संयंत्र 130 फीसदी क्षमता के साथ चल रहे हैं, सभी थोक भंडारण गृह, एलपीजी वितरण, पेट्रोल पम्प सामान्य रूप से चल रहे हैं.
आपको बता दें कि कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए भारत में 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा की गयी है. यह लॉकडाउन 14 अप्रैल तक चलेगा. सरकार ने लोगों को इस दौरान कई तरह की राहत दी है.
तीन महीने तक गैस फ्री
केंद्र सरकार ने गरीबों की मदद के लिए खजाना खोल दिया है. लॉकडाउन से आम आदमी को राहत देने के लिए वित्त मंत्री ने 1 लाख 70 हजार करोड़ रुपये के राहत पैकेज का ऐलान पिछले दिनों किया. इस महापैकेज में वैसे तो कई घोषणाएं हैं लेकिन उसमें से सबसे प्रमुख है फ्री गैस सिलेंडर का. दरअसल, वित्त मंत्री ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत 3 महीने तक रसोई गैस सिलेंडर फ्री देने का एलान किया है.
ईंधन, गैंस की कोई कमी नहीं
सरकारी क्षेत्र की तेल कंपनी इंडियन आयल कारपोरेशन (आईओसी) के चेयरमैन संजीव सिंह ने कहा है कि भारत में पेट्रोल डीजल और रसोई गैस का पर्याप्त भंडार है और लोगों को गैस की कमी की डर से गैस सिलेंडर की बुकिंग बढ़ा कर आपूर्ति प्रणाली पर अनावश्यक दबाव नहीं पैदा करना चाहिए. कोरोना वायरस के कारण आवागमन पर तीन सप्ताह की देश्व्यापी ‘लॉकडाउन’ (बंद) में लोगों की जरूरत की पूर्ति के लिए ईंधन का पर्याप्त भंडार है. इंडियन आयल इस समय अन्य कंपनियों के साथ मिल कर देश में ईंधन की जरूरतों के प्रबंध के व्यापक अभियान में लगी है.
सभी ग्राहकों की मांग हो रही है पूरी
सिंह ने कहा कि इस दौरान हालांकि रसोई गैस सिलेंडर की मांग में उछाल जरूर आया है लेकिन हम अपने सभी ग्राहकों की मांग पूरी कर रहे हैं. कोरोना बंदी की घोषणा के बाद रसोई गैस रिफिल सिलेंडर की मांग 200% से भी अधिक उछल गयी है. लोग संभवत भविष्य में किसी कमी की आशंका से खरीदारी या बुकिंग बढ़ा दी है. लेकिन सिंह ने ग्राहकों को आश्वस्त किया है कि गैस की कोई कमी नहीं होगी इसलिए उन्हें घबराहट में इसकी बुकिंग नहीं करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि ग्राहक घबराहट में अनावश्यक रूप से गैस सिलेंडर की बुकिंग शुरू कर देते हैं तो व्यवस्था पर दबाव पड़ता है. बुकिंग बढ़ने पर गैस सिलेंडर भरने के कारखानों को सूचना तत्काल दे दी जाती है और वे सिलेंडर भरने का काम तेज कर देते हैं. वहां से सिलेंडर वितरकों को जाता है और वितरक अपने डिलिवरी कर्मचारियों के जरिए घर-घर सिलेंडर पहुंचाते हैं. यदि मांग बहुत ज्यादा बढ़ जाती है तो पहले से दबाव में काम करने वाले वितरकों ओर डिलिवरी कर्मियों पर भी बोझ बढ जाता है.
डीजल और पेट्रोल का उत्पादन 25 से 30% घटा
सिंह ने कहा कि हल्की मांग कम होने से तेल शोधन संयंत्रों ने डीजल और पेट्रोल का उत्पादन 25 से 30% घटा दिया है. तेलशोधक कारखानों में कच्चे तेल के प्रसंस्करण से एक अनुपात में पेट्रोल, डीजल, मिट्टी तेल और विमान ईंधन तथा एलपीजी का उत्पादन होता है. यदि कच्चे तेल की प्रोसेसिंग कम होती है तो इन सभी सभी ईंधनों के उत्पादन में उसी अनुपात में कमी आती है.
घबराहट में एलपीजी की बुकिंग नहीं करें
सिंह ने कहा कि देश में ईंधन की कोई कमी नहीं है. उन्हें घबराहट में एलपीजी की बुकिंग नहीं करनी चाहिए. हमने पूरे अप्रैल महीने और उसके बाद की अवधि के लिए भी ईंधन की मांग का पूरा अंदाजा लगा लिया है. तेल शोधक इकाइयां जरूरत के हिसाब से काम कर रही हैं ताकि देश का ईंधन की पूरी मांग का इंतजाम किया जा सके। सभी ठोक भंडारण केंद्रों , एलपीजी वितरण केंद्रों और पेट्रोल पंप पर काम सामान्य ढंग से चल रहा है. उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस के कारण आवाजाही पर देशव्यापी पाबंदी के चलते वहनों और विमानों आदि का परिचालन प्रभावित होने से डीजल पेट्रोल और विमान ईंधन की मांग घट गयी है. मार्च में पेट्रोल की मांग 8% और डीजल की मांग 16% घट गयी है. इसी तरह विमान ईंधन की मांग में भी 20% की गिरावट दर्ज की गयी है.