नयी दिल्ली : कोरोनावायरस महामारी पर देश के टास्क फोर्स के प्रमुख डॉ वी के पॉल (Dr VK Paul) के अनुसार, गंभीर दूसरी लहर का सामना कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों को कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) के टीकाकरण के कारण अस्पतालों में कम भर्ती होना पड़ा. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक ऐसे स्वास्थ्यकर्मियों को जिन्होंने वैक्सीन ले लिया था, उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट की भी कम आवश्यकता पड़ी और आईसीयू में भर्ती के मामले भी काफी कम आए.
क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर ने एक आंकड़ा जारी किया जिसमें 8,991 टीकाकरण वाले स्वास्थ्य कार्यकर्ता पर सर्वे किया गया है. इसका हवाला देते हुए डॉ पॉल ने रेखांकित किया कि आईसीयू में प्रवेश को रोकने में टीकों की भूमिका 94 प्रतिशत तक थी, जो दर्शाता है कि टीके गंभीर लक्षणों के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने में कारगर साबित हुए. इनमें से कई ने वैक्सीन के केवल एक ही डोज लिये थे.
डॉ पॉल ने कहा कि भारत से ऐसे अध्ययन सामने आ रहे हैं जो टीकाकरण के बाद सुरक्षा को दर्शाते हैं. स्वास्थ्य कर्मियों पर दो ऐसे अध्ययन हैं, जो उच्च जोखिम वाले समूह के हैं. अध्ययनों से पता चलता है कि टीकाकरण के बाद अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता 75-80 प्रतिशत तक कम हो जाती है. वैक्सीन की डोज लेने के बाद भी अगर कोई कोरोना संक्रमित होता है तो अस्पताल में भर्ती होने की संभावना लगभग 20 प्रतिशत थी.
डॉ पॉल ने यह भी बताया कि ऐसे लोगों को ऑक्सीजन की आवश्यकता की संभावना सिर्फ 8 प्रतिशत थी और गंभीर आईसीयू प्रवेश के आंकड़े बताते हैं कि जोखिम सिर्फ 6 प्रतिशत था. इसलिए सुरक्षा 94 फीसदी हो जाती है. यह एक उचित आकार के अध्ययन से शक्तिशाली डेटा है क्योंकि यह वहां किया गया था जहां संक्रमण होने का जोखिम सबसे अधिक था. उन्होंने कहा कि एक और अध्ययन में 7000 में से केवल एक मृत्यु हुई है. यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि टीके विशेष रूप से गंभीर बीमारी से सुरक्षा प्रदान करते हैं.
डॉ पॉल ने सीएमसी द्वारा किये गये अध्ययन का जिक्र किया और कहा कि वैक्क्सीन के दो डोज लगाने के बाद 7080 स्वास्थ्य कर्मियों में से 679 लोग संक्रमित पाये गये. ये लोग दूसरी डोज के 47 दिन बाद संक्रमित पाये गये. अध्ययन में कहा गया है कि संक्रमण के बाद ऐसे लोगों में अस्पताल में भर्ती होने के मामले में 65 फीसदी सुरक्षा, ऑक्सीजन की आवश्यकता के मामले में 77 फीसदी सुरक्षा और आईसीयू में भर्ती के मामले में 94 फीसदी तक सुरक्षा देखी गयी. अध्ययन में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया कि मरने वाले एकमात्र स्टाफ को दूसरी गंभीर बीमारी थी.
Posted By: Amlesh nandan.