गुजरात चुनाव 2022: ‘नो ट्रेन, नो वोट’, इन गांवों में चुनाव का बहिष्कार
Gujarat Election 2022: अंचेली रेलवे स्टेशन के पास और गांवों के इलाकों में इसको लेकर पोस्टर और बैनर लगाये गये हैं. इन बैनरों में लिखा है, ''ट्रेन नहीं तो वोट नहीं...भाजपा या अन्य राजनीतिक दलों के नेता चुनाव प्रचार के लिए यहां नहीं आएं.
Gujarat Election 2022: गुजरात में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो चली है. इस बीच प्रदेश से एक ऐसी खबर सामने आ रही है जो चिंता बढ़ाने वाली है. जी हां…अंचेली और नवसारी विधानसभा क्षेत्र के 17 अन्य गांवों के ग्रामीणों ने चुनाव का बहिष्कार करने का ऐलान किया है. यही नहीं राजनीतिक दलों के नेताओं पर प्रतिबंध लगाने के लिए बैनर भी गांवों में टांग दिया गया है.
क्यों किया जा रहा है चुनाव का बहिष्कार
अब सबके मन में ये सवाल आ रहा है कि गुजरात चुनाव में इस क्षेत्र के लोगों ने बहिष्कार का ऐलान क्यों किया है. दरअसल जो खबर सामने आ रही है उसके अनुसार ग्रामीणों ने चुनाव का बहिष्कार का ऐलान इसलिए किया है क्योंकि अंचेली रेलवे स्टेशन (Ancheli Railway Station) पर लोकल ट्रेनों को रोकने की उनकी मांग अभी तक पूरी नहीं हुई है.
पोस्टर और बैनर लगाये गये
अंचेली रेलवे स्टेशन के पास और गांवों के इलाकों में इसको लेकर पोस्टर और बैनर लगाये गये हैं. इन बैनरों में लिखा है, ”ट्रेन नहीं तो वोट नहीं….भाजपा या अन्य राजनीतिक दलों के नेता चुनाव प्रचार के लिए यहां नहीं आएं, हमने चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला किया है.
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क्या है ग्रामीणों की मांग
एक युवा हितेश नायक का बयान इस संबंध में सामने आया है. उन्होंने कहा है कि इस निर्वाचन क्षेत्र में कम से कम 18 गांवों के लोगों ने चुनाव का बहिष्कार का निर्णय लिया है. हमारी मांग उस ट्रेन के ठहराव की है जो कोरोना काल से पहले यहां रुकती थी. इस क्षेत्र के लोगों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि जो नियमित यात्री हैं, वे अब निजी वाहन लेने के लिए मजबूर हैं. लोगों को इसके लिए प्रतिदिन लगभग 300 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं.
छात्राओं को समस्या
कॉलेज की एक छात्रा प्राची पटेल ने अपनी समस्या साझा की है. उसने कहा है कि यह एक ऐसी समस्या है जिसकी वजह से उसकी पढ़ाई में बाधा आ रही है. जोनल रेलवे यूजर्स कंसल्टेटिव कमेटी (ZRUCC) के सदस्य छोटूभाई पाटिल ने कहा कि संबंधित अधिकारी या लोग इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं. उन्होंने कहा कि एक स्थानीय यात्री ट्रेन 1966 से यहां रुकती थी, लेकिन कोरोना महामारी के बाद ट्रेन का ठहराव अब नहीं होता है. यहां से कम से कम 19 गांवों के लोग अपनी नौकरी और दैनिक आजीविका के लिए आवागमन करते हैं जिन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.