नयी दिल्ली : भारत में लॉकडाउन में दी जा रही ढील को लेकर नोबेल पुरस्कार से सम्मानित रोग प्रतिरक्षा वैज्ञानिक पीटर चार्ल्स डोहर्टी ने भारत जैसे घनी आबादी वाले देशों में लॉकडाउन में दी जा रही है ढील पर चिंता जतायी है.उन्होंने कहा है कि कोरोनावायरस संकट से निपटना सरकारों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण है.
उन्होंने कहा सरकार देश में पूरे तरीके से लॉकडाउन नहीं कर सकती ये पूर्णतय आर्थिक और सामाजिक रूप से असंभव है.आस्ट्रलिया के वैज्ञानिक डोहर्टी ने आगाह किया है आने वाले दिनों में संक्रमण के मामले और बढ़ेंगे तथा इस महामारी को काबू करने के लिए टीका उपलब्ध होने में 1 से दो साल का समय लग सकता है.
डोहर्टी ने ईमेल के जरिए दिए गए इंटरव्यू में कहा कि कोरोनावायरस इंफ्लुएंजा की तरह तेजी से नहीं बदलता.इसलिए जानकारी के अनुसार एक ही टीका सभी जगह काम कर सकता है. मेलबर्न विश्वविद्यालय में अपनी सेवाएं दे रहे डोहर्टी ने लॉकडाउन पर चर्चा करते हुए कहा अगर यह विज्ञान का मामला है, तो लॉकडाउन पूरी तरह लागू होना चाहिए था.लेकिन ये अंसभव है.
उन्होंने कहा कि संक्रमण के मामले बढ़ने की और आशंका है और इसके बढ़ने की दर इस बात पर निर्भर करेगी कि लोग लॉकडाउन में कैसा व्यवहार करते है.और त्वरित कार्रवाई एवं जांच की क्षमता कितनी है. वैज्ञानिक ने कहा, भारत जैसे घनी आबादी वाले देश में यह मुश्किल होगा.
डब्ल्यूएचओं ने कोरोनावायरस के फिर से जोर पकड़ने को लेकर आगाह किया है लेकिन इसके बावजूद भारत समेत कई देशों ने मई के बीच से ही लॉकडाउन में ढील देना शुरू कर दी है.भारत में 25 मार्च से लॉकडाउन लागू है.वहीं इसका चौथा चरण रविवार को समाप्त होगा.
डोहर्टी ने कोरोनावायरस के उपचार के लिए एचसीक्यू के इस्तेमाल को लेकर आगाह करते हुए कहा इस गंभीर बीमारी में दवा का इस्तेमाल निश्चित ही विपरीत संकेत देता है.हालांकि उन्होंने कहा कि प्लाज्मा थैरेपी संक्रमण से निपटने में मददगार हो सकती है.
Posted By : Mohan Singh