एम्स दिल्ली द्वारा किये गये एक अध्ययन में यह बात सामने आयी है कि अप्रैल-मई 2021 के दौरान जिस भी व्यक्ति ने कोरोना का वैक्सीन लिया और उसके बाद उन्हें संक्रमण हुआ तो ऐसे किसी भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई. यह अध्ययन इंडिया टुडे में प्रकाशित है.
इस बात की जानकारी कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान किये गये पहले जीनोमिक सिक्वेंस स्टडी से मिली है. सरल शब्दों में कहें तो अगर कोई व्यक्ति दोनों वैक्सीन लेने के बाद भी कोरोना वायरस से संक्रमित हो जाता है तो उसे ब्रेक थ्रू कहा जायेगा. अमेरिका के हेल्थ एजेंसी, सेंटर्स फॉर डिजिज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन ने कहा है कि ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम है जो दोनों वैक्सीन लेने के बाद भी संक्रमित होते हैं या फिर उन्हें अस्पताल में भरती करने की जरूरत होती है या फिर उनकी मौत हो जाती है.
एम्स दिल्ली ने वैसे लोगों का अध्ययन पहले किया जो वैक्सीन ले चुके थे और उसके बावजूद कोरोना वायरस से संक्रमित हुए. अप्रैल मई महीने में यह देखा गया कि ऐसे लोगों में वायरस लोड बहुत होने के बावजूद किसी भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई. वैक्सीन लेने वाले जिन 63 मरीजों पर अध्ययन किया गया उनमें से 36 मरीजों ने वैक्सीन का दोनों डोज लिया था, जबकि 27 लोगों ने एक डोज वैक्सीन लिया था. इन 63 मरीजों में से 53 ने कोवैक्सीन लिया था जबकि 10 ने कोविशील्ड लगवाया था.
B.1.617 वैरिएंट जिसे पहली बार भारत में खोजा गया था को तीन कैटेगरी – B.1.617.1, B.1.617.2 और B.1.617.3 में विभाजित किया गया है. B.1.617.2 प्रकार का वैरिएंड 23 लोगों यानी (63.9 प्रतिशत) में देखा गया, उनमें से 12 लोगों ने टीके का दोनों डोज लिया था जबकि 11 लोगों ने एक डोज लिया था. जबकि B.1.617.1 प्रकार का वैरिएंट चार और B.1.1.7 एक व्यक्ति में पाया गया था.
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ध्यान देने वाली बात यह है कि कुछ मरीजों में एंडीबॉडीज मौजूद था बावजूद इसके वे संक्रमित हो गये. यह रिपोर्ट कई मायनों में यूनिक है. हालांकि कोई भी संक्रमण घातक नहीं था लेकिन सभी मरीजों को पांच से सात दिनों तक तेज बुखार रहा. रोगियों की औसत आयु 37 (21-92) थी, जिनमें से 41 पुरुष और 22 महिलाएं थीं. किसी भी मरीज में ऐसी कोई अन्य बीमारी नहीं थी जिसे संक्रमण के लिए जिम्मेदार बताया जाता.
Posted By : Rajneesh Anand