मॉनसून में होगी सामान्य बारिश, अल निनो का भी दिखेगा असर! जानिए IMD ने क्या जताई संभावना
Weather Forecast: भारत मौसम विज्ञान विभाग का कहना है कि अल नीनो के असर के बाद भी भारत में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के दौरान सामान्य बारिश होने की उम्मीद है. भारत में मॉनसून के दौरान लगातार चार साल सामान्य और सामान्य से अधिक बारिश हुई है.
Weather Forecast: भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने आज यानी मंगलवार को कहा कि अल नीनो के असर के बाद भी भारत में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के दौरान सामान्य बारिश होने की उम्मीद है. आईएमडी का यह अनुमान किसानों के लिए सबसे बड़ी राहत है. क्योंकि, कृषि क्षेत्र फसलों की उपज के लिए मुख्य रूप से मॉनसून की बारिश पर ही निर्भर रहता है. गौरतलब है कि इससे पहले सोमवार को मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट वेदर ने मॉनसून के दौरान देश में सामान्य से कम बारिश का अनुमान जताया था.
भारत में मॉनसून के दौरान लगातार चार साल सामान्य और सामान्य से अधिक बारिश हुई है. भारत के कृषि परिदृश्य के लिए सामान्य बारिश महत्वपूर्ण है क्योंकि खेती वाले क्षेत्र का 52 फीसदी इसी पर निर्भर है. यह देश भर में बिजली उत्पादन के अलावा पेयजल आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण जलाशयों में जल के भंडारण के लिए भी जरूरी है. देश के कुल खाद्य उत्पादन में वर्षा आधारित कृषि का हिस्सा लगभग 40 फीसदी है, जिससे यह भारत की खाद्य सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता में महत्वपूर्ण योगदान देता है.
अल नीनो का होता है भारतीय मॉनसून पर असर: दरअसल, अल नीनो के कारण दक्षिण अमेरिका के पास प्रशांत महासागर की सतह के जल का ताप सामान्य से अधिक हो जाता है और इसे मॉनसून की हवाओं के कमजोर पड़ने तथा भारत में कम बारिश के साथ जोड़ कर देखा जाता है. लगातार तीन बार ला नीना के प्रभाव के बाद इस साल अल नीनो की स्थिति बनेगी. ला नीना, अल नीनो की विपरीत स्थिति है. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम रविचंद्रन ने कहा, भारत में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून (जून से सितंबर) के दौरान सामान्य बारिश हो सकती है. यह दीर्घावधि औसत का करीब 96 फीसदी है. दीर्घावधि औसत 87 सेमी है.
आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने बताया कि बारिश के ‘सामान्य’ और ‘सामान्य से ज्यादा’ होने की 67 फीसदी संभावना है.स्काईमेट ने कम मॉनसून वर्षा की 20 फीसदी संभावना जताई है, जबकि आईएमडी के अनुमान के मुताबिक यह 16 फीसदी है.महापात्रा ने कहा कि उत्तर-पश्चिम भारत, पश्चिम मध्य और पूर्वोत्तर क्षेत्रों में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के दौरान ‘सामान्य’ और सामान्य से कम बारिश होने का पूर्वानुमान किया गया है. उन्होंने कहा, प्रायद्वीपीय क्षेत्र, इससे लगे पूर्वी मध्य, पूर्वी, पूर्वोत्तर क्षेत्रों के कई हिस्सों में तथा उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य बारिश हो सकती है.
मौसम विज्ञान विभाग के प्रमुख ने कहा कि मॉनसून के दौरान अल नीनो की स्थिति बन सकती है और इसका प्रभाव मॉनसून के दूसरे भाग में महसूस किया जा सकता है. महापात्रा ने कहा कि 1951-2022 के बीच जितने साल भी अल नीनो सक्रिय रहा है, वे सभी वर्ष मॉनसून के लिहाज से खराब नहीं थे. उन्होंने कहा कि इन वर्षों में अल नीनो के प्रभाव वाले 15 साल थे और उनमें से छह में सामान्य से लेकर सामान्य से अधिक बारिश हुई.
आईएमडी के मुताबिक, 96 फीसदी से 104 फीसदी के बीच 50 साल के औसत 87 सेमी की बारिश को ‘सामान्य’ माना जाता है. दीर्घावधि औसत के हिसाब से 90 फीसदी से कम बारिश को कमी, 90 से 95 प्रतिशत के बीच ‘सामान्य से कम’, 105 से 110 प्रतिशत के बीच ‘सामान्य से अधिक’ और 100 फीसदी से अधिक वर्षा को अधिक वर्षा माना जाता है.