पूर्वोत्तर भारत में उग्रवाद को बड़ा झटका, सीमा पार 1600 किमी दूर बैठकर साजिश रच रहे 22 उग्रवादी गिरफ्त में

पूर्वोत्तर भारत में उग्रवाद के खिलाफ भारत को बड़ी कामयाबी मिली है. पड़ोसी देश म्यांमार ने पूर्वोत्तर भारत में उग्रवाद फैला रहे 22 उग्रवादियों को पकड़कर भारत को सौंप दिया है. जिसके बाद सभी उग्रवादियों को विशेष विमान से भारत लाया गया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 16, 2020 12:37 PM

गुवाहाटी : पूर्वोत्तर भारत में उग्रवाद के खिलाफ भारत को बड़ी कामयाबी मिली है. पड़ोसी देश म्यांमार ने पूर्वोत्तर भारत में उग्रवाद फैला रहे 22 उग्रवादियों को पकड़कर भारत को सौंप दिया है. जिसके बाद सभी उग्रवादियों को विशेष विमान से भारत लाया गया है.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल के नेतृत्व में उग्रवाद के खिलाफ चल रहे मिशन में भारत को उस वक्त बड़ी कामयाबी मिली, जिस वक्त म्यांमार ने 22 उग्रवादियों को भारत को सौंप दिया. ये सभी उग्रवादी पूर्वोत्तर भारत में उग्रवाद से जुड़े संगठनों से जुड़े थे और म्यांमार भारत सीमा में छुपकर साजिश करते थे.

एनआईए से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि पकड़े गये सभी 22 उग्रवादी यूएनएलएफ, केवाईकेएल और पीएलए से जुड़े हैं, इनमें अधिकतर असम और मणिपुर के उग्रवाद घटना में शामिल रहे हैं. अधिकारी ने बताया कि ये सभी भारत से 1600 किमी दूर म्यांमार के पास पकड़े ग्रेस जिसके बाद म्यामांर से संपर्क किया गया और इन सभी को भारत लाया गया है. बताया जा रहा है कि उग्रवाद के खिलाफ भारत की यह बड़ी जीत है.

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बता दें कि इसी साल पूर्वोत्तर भारत में एक कार्यक्रम के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि 2024 तक पूर्वोत्तर को उग्रवाद से मुक्त कर देगें. 2024 के बाद उग्रवाद सिर्फ अतीत में दिखाई देगा.

1665 ने किया था आत्मसमर्पण – समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार इससे पहले, असम में 1665 उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया था. ये सभी उग्रवादी बोडो समझौता के बाद आत्मसमर्पण किया था. बोडो समझौता सरकार के मास्टर प्लान एक हिस्सा था.

2015 में किया था स्ट्राइक– इससे पहले भारतीय सेना ने 2015 में उग्रवादियों के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक किया था. भारतीय सेना ने म्यांमार की सीमा में घुसकर उग्रवादियों का सफाया किया था. यह स्ट्राइक तड़के सुबह किया गया था. स्ट्राइक में तकरीबन 150 उग्रवादी मारे गये थे, जिसके बाद से माना जा रहा था कि उग्रवादी पूर्वोत्तर में कमजोर हो चुके हैं.

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