सिर्फ ऑनलाइन क्लास ही नहीं अब इन माध्यमों से भी छात्र करेंगे पढ़ाई

कोविड-19 के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए मध्यप्रदेश सरकार अगले अकादमिक सत्र से शासकीय महाविद्यालयों के विद्यार्थियों को इलेक्ट्रॉनिक और ऑनलाइन माध्यमों से घर बैठे पढ़ाने की कवायद में जुट गयी है. इस सत्र की पढ़ाई अक्टूबर में शुरू हो सकती है .

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 14, 2020 8:37 PM

इंदौर (मध्यप्रदेश) : कोविड-19 के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए मध्यप्रदेश सरकार अगले अकादमिक सत्र से शासकीय महाविद्यालयों के विद्यार्थियों को इलेक्ट्रॉनिक और ऑनलाइन माध्यमों से घर बैठे पढ़ाने की कवायद में जुट गयी है. इस सत्र की पढ़ाई अक्टूबर में शुरू हो सकती है .

प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने सोमवार को यहां संवाददाताओं को बताया, “अगले सत्र के दौरान हम अक्टूबर से दूरदर्शन और आकाशवाणी जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से महाविद्यालयीन विद्यार्थियों को घर बैठे पढ़ाने की व्यवस्था कर रहे हैं और इस सिलसिले में हम यू-ट्यूब की मदद भी ले सकते हैं.”

यादव ने बताया कि कोरोना वायरस से प्रभावित पिछले अकादमिक सत्र के लिये सूबे में ओपन बुक प्रणाली से आयोजित महाविद्यालयीन परीक्षाओं में कुल छह लाख परीक्षार्थी बैठे थे, और इनके नतीजे इसी महीने आने की उम्मीद है. उन्होंने यह भी बताया कि कोरोना वायरस का प्रकोप खत्म होने के बाद भी महाविद्यालयों में परंपरागत परीक्षा प्रणाली की जगह नयी परीक्षा प्रणाली पर विचार-विमर्श के लिये एक समिति बनायी गयी है.

Also Read: हिंदी दिवस पर इजरायल में लाल छड़ी मैदान खड़ी …

कमलनाथ की अगुवाई वाली पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में अतिथि विद्वानों के बहुचर्चित आंदोलन से जुडे़ एक सवाल पर उच्च शिक्षा मंत्री ने दावा किया कि दोबारा नियुक्ति से छूट गये करीब 4,200 पुराने अतिथि विद्वानों में से 3,500 से ज्यादा लोगों को बहाल कर दिया गया है.

बाकी अतिथि विद्वानों को भी जल्द बहाल करने की कोशिश की जा रही है. नियमितीकरण को लेकर राज्य के अतिथि विद्वानों की पुरानी मांग के बारे में पूछे जाने पर यादव ने कहा, “यह विषय नया है. अतिथि विद्वानों का विरोध इस बात को लेकर था कि (कमलनाथ सरकार के 15 महीने के कार्यकाल में) उन्हें दोबारा नियुक्त नहीं किया जा रहा था जिससे वे बेरोजगार हो गये थे और उन्हें खाने के लाले पड़ रहे थे.” उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा, “हमने कोविड-19 के इस संकट काल के बावजूद महाविद्यालयीन प्राचार्यों को निर्देश दिये हैं कि अतिथि विद्वानों को नियमित रूप से वेतन दिया जाये, भले ही कक्षाएं लगें या न लगें.”

Posted By – Pankaj Kumar Pathak

Next Article

Exit mobile version