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सुप्रीम कोर्ट में अब 6 महिला जज सुनाएंगी फैसला, जस्टिस बीवी नागरत्ना बन सकती हैं भारत की पहली महिला सीजेआई

आजादी के बाद 1950 में सुप्रीम कोर्ट के अस्तित्व में आने के बाद से अब तक 11 महिला जजों की नियुक्ति सर्वोच्च अदालत में हो चुकी है.

नई दिल्ली : देश को सितंबर 2027 में पहली महिला प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) के तौर पर जस्टिस बीवी नागरत्ना की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में तीन महिला जज समेत नौ नए जजों की नियुक्ति की गई है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविद ने उनके नियुक्ति पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. तीन नई महिला जजों की नियुक्ति के साथ ही सर्वोच्च अदालत में इनकी संख्या अब छह हो गई है.

सर्वोच्च अदालत में तीन नई महिला जजों की हुई नियुक्ति

सुप्रीम कोर्ट में जिन तीन नई महिला जजों को नियुक्त किया गया है, उनमें कर्नाटक हाईकोर्ट की तीसरी सबसे सीनियर जज जस्टिस बीवी नागरत्ना, गुजरात हाईकोर्ट की सीनियर मोस्ट जज जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और तेलंगाना हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस हिमा कोहली शामिल हैं. इससे पहले, सर्वोच्च अदालत में 7 अगस्त 2018 को महिला जज के तौर पर जस्टिस इंदिरा बनर्जी की नियुक्ति के बाद इनकी संख्या तीन हो गई थी. जस्टिस बनर्जी के सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस इंदु मल्होत्रा को नियुक्त किया गया था.

फातिमा बीवी बनी थीं सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज

बता दें कि आजादी के बाद 1950 में सुप्रीम कोर्ट के अस्तित्व में आने के बाद से अब तक 11 महिला जजों की नियुक्ति सर्वोच्च अदालत में हो चुकी है. इनमें सबसे पहली महिला जज जस्टिस फातिमा बीवी थीं, जिनकी नियुक्ति 1989 में हुई थी. जस्टिस फातिमा बीवी के बाद जस्टिस सुजाता वी मनोहर, रूमा पाल, ज्ञान सुधा मिश्रा, रंजना प्रकाश देसाई और फिर जस्टिस आर भानुमति सर्वोच्च अदालत में न्यायाधीश बनीं.

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किस हाईकोर्ट में कितनी महिला जज

देश के हाईकोर्टों में महिला जजों की बात करें, तो पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में इनकी संख्या सबसे अधिक है. यहां पर महिला जजों की संख्या 11 है. इसके अलावा, इलाहाबाद हाईकोर्ट में 6, बंबई हाईकोर्ट में 8, मद्रास हाईकोर्ट में 9, कलकत्ता हाईकोर्ट 5, दिल्ली हाईकोर्ट में 8, कर्नाटक में 5, गुजरात हाईकोर्ट में 4, केरल में 5 और आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में महिला जजों की संख्या 4 है. इसके अलावा, देश के छह हाईकोर्ट मणिपुर, मेघालय, पटना, तेलंगाना, उत्तराखंड, त्रिपुरा में कोई महिला जज नहीं हैं, जबकि 6 अन्य हाईकोर्ट में एक-एक महिला जज हैं.

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