नई दिल्ली : देश में तेजी से बढ़ रहे कोरोना के नए मामलों के बीच रेमडेसिविर की कमी को देखते हुए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. उसने कोरोना की इस दवा के उत्पादन में तेजी लाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं. रेमडेसिविर का उत्पादन करने वाली 6 कंपनियों को हर महीने 10 लाख इंजेक्शन तैयार करने के लिए सरकार की ओर से मंजूरी दी गई है. हालांकि, इस दवा का हर महीने 30 लाख इंजेक्शन का उत्पादन बढ़ाने की प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है. इस दवा का निर्माण करने वाली कुल 7 कंपनियों की मौजूदा उत्पादन क्षमता 38.80 लाख है. सरकार के इस कदम से अब देश में हर महीने तकरीबन 78 लाख से अधिक रेमडेसिविर का उत्पादन हो सकेगा.
मीडिया की खबर के अनुसार, रेमडेसिविर का उत्पादन बढ़ाने के लिए अभी हाल ही में उर्वरक राज्यमंत्री मनसुख मंडाविया ने दवा बनाने वाली कंपनियों के साथ बैठक की है, जिसमें इसके उत्पादन को बढ़ाने की बात कही गई है. इसके साथ ही, उन्होंने इन कंपनियों के साथ कोरोना की इस दवा की कीमत घटाने पर भी बात की है. इसकी उत्पादक कंपनियों ने रेमडेसिविर की न्यूनतम 3,500 रुपये प्रति इंजेक्शन दाम घटाने पर अपनी सहमति जाहिर की है. यह बात दीगर है कि कुछ कंपनियों ने पहले से ही इसकी कीमत में कमी कर दी है, लेकिन फिर भी खुदरा बाजार में इसका एक इंजेक्शन करीब 5000 रुपये में बेचा जा रहा है.
कोरोना के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा का देश में भारी कमी होने के बाद डीजीएफटी की ओर से बीते 11 अप्रैल को ही रेमडेसिविर, एपीआई और फॉर्मूलेशन के निर्यात पर रोक लगा दी गई है. वहीं सरकार के हस्तक्षेप के बाद दुनिया के दूसरे देशों में निर्यात के लिए रखी गई रेमडेसिविर की 4 लाख वायल को घरेलू जरूरतों को पूरा करने की खातिर इसकी उत्पादक कंपनियों को दे दिया गया है.
डीसीजीआई की ओर से केंद्र और राज्य सरकारों के प्रवर्तन अधिकारियों को रेमडेसिविर की कालाबाजारी, जमाखोरी और मुनाफाखोरी की घटनाओं पर तुरंत कार्रवाई करने को लेकर निर्देश भी जारी किया गया है. राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) रेमडेसिविर की उपलब्धता को लेकर लगातार निगरानी कर रहा है.
Posted by : Vishwat Sen