दिल्ली: अब डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के नाम से जानी जाएगी औरंगजेब लेन, 8 साल बाद NDMC ने लिया फैसला

एनडीएमसी के उपाध्यक्ष सतीश उपाध्याय के एक बयान में कहा गया है, “एनडीएमसी क्षेत्र के अंतर्गत 'औरंगजेब लेन' का नाम बदलकर 'डॉ.' करने पर विचार करने के लिए परिषद के समक्ष एक एजेंडा आइटम रखा गया था. जिस पर मंजूरी मिल गई है.

By Abhishek Anand | June 29, 2023 4:45 PM
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एनडीएमसी अधिकारियों ने बुधवार को घोषणा की कि लुटियंस दिल्ली में औरंगजेब लेन का नाम बदलकर डॉ एपीजे अब्दुल कलाम लेन कर दिया गया है. लुटियंस दिल्ली में औरंगजेब रोड का नाम बदलकर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम रोड किए जाने के लगभग आठ साल बाद, नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) ने बुधवार को घोषणा की कि क्षेत्र में औरंगजेब लेन का नाम भी इसी तरह डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम लेन रखा जाएगा.

औरंगजेब रोड के बाद औरंगजेब लेन का नाम बदला 

एनडीएमसी के उपाध्यक्ष सतीश उपाध्याय के एक बयान में कहा गया है, “एनडीएमसी क्षेत्र के अंतर्गत ‘औरंगजेब लेन’ का नाम बदलकर ‘डॉ.’ करने पर विचार करने के लिए परिषद के समक्ष एक एजेंडा आइटम रखा गया था. एपीजे अब्दुल कलाम लेन’ नई दिल्ली नगरपालिका अधिनियम, 1994 की धारा 231 की उप-धारा (1) के खंड (ए) के संदर्भ में.”

लोगों की भावनाओं को देखते हुए बदल गया नाम-  एनडीएमसी

उन्होंने कहा, “परिषद ने औरंगजेब लेन का नाम बदलकर डॉ एपीजे अब्दुल कलाम लेन करने को मंजूरी दे दी है. लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए, हमारे समय के महान पुरुषों और महिलाओं को पहचानने और सम्मान देने की आवश्यकता के लिए, अतीत में सड़कों/सड़कों/संस्थानों का नाम बदला गया है,” इसमें लिखा है. एनडीएमसी ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली कानून (विशेष प्रावधान) द्वितीय अधिनियम, 2011 की वैधता के विस्तार पर भी अपनी सहमति दे दी है.

इस तरह से होता सड़कों का नाम निर्धारण?

सड़कों के नाम बदलने के अनुरोध उन एजेंसियों के पास आते हैं जिनका उस क्षेत्र पर अधिकार क्षेत्र है, इस मामले में एनडीएमसी. एक बार अनुरोध प्राप्त होने के बाद, इसे एनडीएमसी के सामान्य प्रशासन विभाग को भेजा जाता है. निर्णय लेने वाली परिषद के समक्ष एक एजेंडा रखा जाता है. परिषद ने गृह मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुसार ऐसे अनुरोधों पर विचार करने के लिए मानदंड निर्धारित किए हैं. मानदंडों के मुताबिक ऐसे अनुरोधों की ऐतिहासिक प्रासंगिकता होनी चाहिए, भावनाओं का सम्मान होना चाहिए और यह महसूस होना चाहिए कि जिस शख्सियत का नाम देना है उसे पहचानने की जरूरत है. यदि प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो इसे मंजूरी के लिए दिल्ली सरकार के शहरी विकास विभाग के राज्य सड़क नामकरण प्राधिकरण को भेजा जाता है.

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