अब व्हाट्सएप, ई-मेल और टेलिग्राम के जरिए भी भेजे जाएंगे नोटिस और समन, सुप्रीम कोर्ट ने दी मंजूरी

अब देश में अदालतों की ओर से व्हाट्सएप, ई-मेल और टेलिग्राम के जरिए भी नोटिस और समन भेजे जा सकेंगे. देश में फैली कोविड-19 महामारी और लगातार इसके बढ़ते संक्रमण के मद्देनजर शीर्ष अदालत ने न्यायिक प्रक्रियाओं में नयी टेक्नोलॉजी का अधिक से अधिक इस्तेमाल करने की मंजूरी दी है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि अब अदालत सम्मन और नोटिस जारी करने के लिए ई-मेल, फैक्स और व्हाट्सएप जैसे त्वरित संदेश सेवा (इंस्टेंट मैसेजिंग सर्विस) का इस्तेमाल करेंगी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 15, 2020 4:16 AM

नयी दिल्ली : अब देश में अदालतों की ओर से व्हाट्सएप, ई-मेल और टेलिग्राम के जरिए भी नोटिस और समन भेजे जा सकेंगे. देश में फैली कोविड-19 महामारी और लगातार इसके बढ़ते संक्रमण के मद्देनजर शीर्ष अदालत ने न्यायिक प्रक्रियाओं में नयी टेक्नोलॉजी का अधिक से अधिक इस्तेमाल करने की मंजूरी दी है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि अब अदालत सम्मन और नोटिस जारी करने के लिए ई-मेल, फैक्स और व्हाट्सएप जैसे त्वरित संदेश सेवा (इंस्टेंट मैसेजिंग सर्विस) का इस्तेमाल करेंगी.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 के चलते लागू लॉकडाउन के दौरान वकीलों और वादियों को होने वाली समस्याओं का स्वत: संज्ञान लिया था. इसमें अदालत ने मध्यस्थता कार्यवाही शुरू करने और चेक बाउंस होने के मामलों के लिए कानून के तहत निर्दिष्ट समयसीमा की अवधि 15 मार्च से अगले आदेश तक बढ़ाने का फैसला किया था.

मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े, न्यायाधीश आर सुभाष रेड्डी और एएस बोपन्ना वाली पीठ ने यह आदेश पारित किया. अदालत ने यह आदेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल की ओर से दायर याचिका पर दिया.

अदालत ने आदेश में कहा कि लॉकडाउन के दौरान नोटिस और सम्मन की सेवाओं के मामले में यह देखा गया है कि डाकघर जाना संभव नहीं था. इस तरह की सेवा (नोटिस और सम्मन) ईमेल, फैक्स या त्वरित संदेश सेवा के माध्यम से की जा सकती है.

हालांकि, अदालत ने व्हाट्सएप का नाम नहीं लिया. उसने जेरॉक्स का उदाहरण देते हुए कहा कि कंपनी का नाम फोटोस्टेट का अर्थ बताने के लिए इस्तेमाल किया गया है. कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल की उस आशंका को खारिज किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि व्हाट्सएप के जरिए नोटिस और सम्मन भेजना सही नहीं है, क्योंकि यह पूरी तरह से इन्क्रिप्टेड प्लेटफॉर्म है.

कोर्ट ने कहा कि इसका ‘ब्ल्यू टिक’ फीचर का इस्तेमाल साक्ष्य अधिनियम के तहत अदालत के नोटिसों की सेवा को साबित करने के लिए किया जा सकता है और यदि एप को निष्क्रिय किया जाता है, तो यह साबित नहीं किया जा सकता है और इसलिए ऐसी सेवाओं का उपयोग किया जा सकता है.

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Posted By : Vishwat Sen

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