कोरोना संक्रमण की महामारी ने कालाबाजारी करने वालों को एक मौका दिया है. देश में जिस तरह रेमेडिसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी शुरू हुई उस तरह अब ब्लैक फंगस की बीमारी से लड़ने वाली Liposomal amphotericine B की भी कालाबाजारी शुरू हो गयी है.
इस इंजेक्शन की तलाश में मरीजों के परिजन भटक रहे हैं लेकिन उन्हें यह आसानी से नहीं मिल रहा है. अगर यह मिल भी रहा है तो इसे ब्लैक मार्केट से खरीदना पड़ रहा है. देश के कई बड़े शहरों में इस इंजेक्शन की कमी देखी जा रही है.
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इस इंजेक्शन को बनाने वाली कंपनी ने कहा है कि हमने अबतक इसके प्रोडक्शन को बढ़ाने पर ध्यान नहीं दिया क्योंकि इसकी डिमांड उतनी ज्यादा नहीं है. हमने कई बार इसके प्रोडक्शन कम करने पर भी विचार किया क्योंकि डिमांड कम थी अब इसकी डिमांड अचानक बढ़ गयी है. बाजार से इंजेक्शन कालाबाजारी के लिए गायब किये जा रहे हैं.
इंजेक्शन के प्रोडक्शन में कई तरह की परेशानियां भी हैं. इसके रॉ मैटेरियल उपलब्ध होने में परेशानी है. इस वजह से अब बढ़ी हुई डिमांड के आधार पर इसका प्रोडक्शन नहीं हो रहा है. Liposomal amphotericine डिमांड को देखते हुए कालाबाजारी में शामिल लोगों ने बाजार में मौजूद इस इंजेक्शन को ब्लैक मार्केट में बेचना शुरू किया है.
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ये दवा अभी तक बाजार में 5 से 8 हजार में अलग-अलग कंपनियों को मिल रही थी लेकिन अब ब्लैक मार्केट में इसकी कीमत का अंदाजा लगाना मुश्किल है क्योंकि शहर, जरूरत और ग्राहक के हिसाब से इसकी कीमत लगायी जा रही है.