नई दिल्ली : देश में कई जगहों की मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराने वालों और चुनावी हलफनामे में गलत जानकारी देने वाले नेताओं के लिए अहम जानकारी है. चुनाव आयोग ने मंगलवार को सरकार को एक प्रस्ताव दिया है, जिसके अनुसार अब कोई भी वोटर एक से अधिक जगह की मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज नहीं करा पाएगा, क्योंकि मतदाता पहचान पत्र का आधार से लिंक हुए बिना मतदाता सूची में नाम दर्ज नहीं हो पाएगा. इसके साथ ही, जो प्रत्याशी अपने चुनावी हलफनामे में गलत जानकारी देगा, उसे दो साल की सजा और छह साल के लिए चुनाव लड़ने पर रोक भी लग सकती है.
मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा ने केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को एक चिट्ठी लिखी है, जिसमें उन्होंने चुनाव प्रक्रिया में सुधार को लेकर प्रस्ताव किया है. इसमें मतदाता सूची को आधार से लिंक कराने का भी प्रस्ताव दिया गया है, ताकि एक से अधिक स्थान पर मतदाता सूची में नाम शामिल किए जाने पर रोक लगाई जा सकेगी. इसके साथ ही, चुनाव आयोग के प्रस्ताव में चुनावी हलफनामे में गलत जानकारी देने पर छह महीने जेल की सजा को बढ़ाकर दो साल करने के प्रावधान भी शामिल है. दो साल की सजा होने पर संबंधित उम्मीदवार के चुनाव लड़ने पर छह साल तक की रोक लग जाएगी.
मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा ने कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को चिट्ठी लिखकर आग्रह किया है कि चुनावी हलफनामे में गलत जानकारी देने के लिए दो साल की जेल के प्रावधान समेत कई चुनाव सुधारों से संबंधित प्रस्तावों पर तेज गति से कदम उठाए जाएं. मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि इन प्रस्तावों पर तेज गति से कदम उठाए जाएं और आशा करता हूं कि इन पर मंत्रालय की ओर से जल्द विचार किया जाएगा.
निर्वाचन आयोग ने जिन चुनावों सुधारों के प्रस्ताव दिए है, उनमें एक मुख्य प्रस्ताव चुनावी हलफनामे में गलत जानकारी देने पर छह महीने जेल की सजा को बढ़ाकर दो साल करने के प्रावधान से संबंधित है. दो साल की सजा होने पर संबंधित उम्मीदवार के चुनाव लड़ने पर छह साल तक की रोक लग जाएगी. मौजूदा समय में छह महीने की जेल का प्रावधान है, जिससे किसी को अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता.
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने यह प्रस्ताव भी दिया है कि ‘पेड न्यूज’ को जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत अपराध बनाया जाए और इसके लिए ठोस प्रतिरोध के प्रावधान किए जाए. मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने याद दिलाया कि आयोग ने चुनाव प्रचार के खत्म होने और मतदान के दिन के बीच वाले समय ‘साइलेंट पीरियड’ के दौरान अखबारों में राजनीतिक विज्ञापनों पर रोक लगाने का भी प्रस्ताव दिया है, ताकि मतदाता प्रभावित नहीं हो और खुले मन से अपने मताधिकार का उपयोग करे. इस कदम के लिए जन प्रतिनिधित्व कानून में संशोधन की जरूरत होगी.
Posted by : Vishwat Sen