NPS-UPS Pension Scheme: मोदी सरकार ने शनिवार 24 अगस्त को यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को मंजूरी दे दी है. जिसके तहत रिटायर कर्मचारियों को उनकी अंतिम सैलरी का 50% पेंशन के रूप में मिलेगा. यह नई पेंशन योजना 1 अप्रैल, 2025 से लागू होगी. सूचना मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि UPS के तहत सरकारी कर्मचारी रिटायर से पहले के अंतिम 12 महीनों के मूल वेतन का 50% पेंशन के रूप में प्राप्त करने के पात्र होंगे.
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पेंशन के लिए न्यूनतम सेवा अवधि 25 साल होनी चाहिए, जबकि 10 साल की सेवा अवधि के लिए आनुपातिक पेंशन दी जाएगी. कर्मचारियों के पास अब NPS और UPS में से किसी एक योजना को चुनने का विकल्प होगा. हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों से पहले, मोदी सरकार ने कर्मचारियों की लंबे समय से लंबित मांगों को पूरा करते हुए एकीकृत पेंशन योजना (UPS) को मंजूरी दी है, जिसमें सुनिश्चित पेंशन का प्रावधान है.
UPS और NPS में क्या अंतर है?
UPS के तहत केंद्र सरकार के कर्मचारियों को फिक्स पेंशन मिलेगी. कर्मचारियों को 25 साल की सेवा के बाद सुनिश्चित पेंशन और एकमुश्त राशि मिलेगी. महंगाई दर के अनुसार पेंशन में वृद्धि होगी. 10 साल की सेवा के बाद 10,000 रुपये की न्यूनतम पेंशन की गारंटी है.
NPS में पेंशन की राशि बाजार के रिटर्न पर आधारित होती है, जो समय के साथ बदलती रहती है. इसमें कोई फिक्स पेंशन की गारंटी नहीं है. NPS 2004 में शुरू किया गया था और 2009 में इसे प्राइवेट सेक्टर के लिए भी खोल दिया गया था.
दोनों योजनाओं में कर्मचारी अपनी सैलरी का 10% योगदान करेंगे, जबकि सरकार UPS में 18.5% और NPS में 14% योगदान करेगी.
UPS में बाजार पर निर्भरता कम है, जबकि NPS में बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भरता होती है.
UPS में बाजार की उतार-चढ़ाव की अनिश्चितता कम है, जबकि NPS में कोई सुनिश्चित पेंशन नहीं होती.