एलएसी के नजदीक पहुंची चीन की सेना को वापस पीछे ढकलने में भारत के प्रयासों को सफलता मिली है. इस सफलता श्रेय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को भी जाता है . गलवान घाटी में हुए सैनिक झड़प के बाद भी चीन पीछे हटने को तैयार नहीं था. इसके लिए कई स्तरों पर कई दौर की बैठक की गई. इसके बाद भारतीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच इसे लेकर दो घंटे तक महत्वपूर्ण बैठक हुई. तब जाकर चीन की की सेना पीछे हटने को तैयार हुई.
सूत्रों के मुताबिक विदेश मंत्रालय के अनुसार दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच अच्छे माहौल में बातचीत हुई. इस दौरान चर्चा में इस बात पर जोर रहा कि फिर से शांति बहाल हो और भविष्य में गलवान जैसी घटनाएं रोकने के लिए साथ मिलकर काम किया जाए. विदेश मंत्रालय के मुताबिक डोभाल और वांग यी की चर्चा में इस बात पर सहमति बनी कि बॉर्डर पर शांति रखने और रिश्तों को आगे बढ़ाने के लिए दोनों देशों को तालमेल रखना चाहिए. अजीत डोभाल और वांग यी दोनों ही एक दूसरे को पहले से जानते हैं, इसका फायदा इस बैठक में मिला.
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रविवार को हुई इस बातचीत के दौरान अजीत डोभाल ने बड़ी ही साफ लहजे में चीन को समझा दिया की चीन की सेना को विवादित स्थल से पीछे हटना होगा जिसपर चीन अपना हक जताता रहा है. बता दे कि 15 जून को भारतीय और चीनी सैनिकों की झड़प हुई थी. मामले को लेकर भारत से सख्त लहजे में कहा था की चीन ने सीमा पर शांति बहाल रखने की संधि का उल्लंघन किया है.
डोकलाम विवाद के बाद यह दूसरी बार है जब भारत और चीन के बीच हो रहे विवाद को सुलझाने के लिए भारत की ओर से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने बातचीत की है. हलांकि गलवान घाटी की समस्या डोकलाम जैसी नहीं है. इस बार दोनों ओर से सैनिक हताहत हुए हैं. गलवान की झड़प के बाद भारत ने लद्दाख में सैनिकों की 3 एक्स्ट्रा ब्रिगेड तैनात की हैं. एक ब्रिगेड में 3000 सैनिक हैं। इस तरह लद्दाख में अब करीब 30,000 सैनिक तैनात हैं.
Posted By: Pawan Singh