NSA अजित डोभाल ने कहा- ‘ISIS से प्रेरित आतंक का खतरा बरकरार, कट्टरपंथ के खिलाफ उलेमा की भूमिका अहम’

इस्लामी समाज में उलेमा की भूमिका को रेखांकित करते हुए अजित डोभाल ने कहा कि इस चर्चा का मकसद भारत और इंडोनेशिया के विद्वानों और उलेमा को सहिष्णुता, सौहार्द और शांतिपूर्ण सह अस्तित्व को बढ़ावा देने के लिये साथ आना है, ताकि हिंसक चरमपंथ, आतंकवाद और कट्टरपंथ के खिलाफ लड़ाई को मजबूती प्रदान की जा सके.

By KumarVishwat Sen | November 29, 2022 8:23 PM

नई दिल्ली : राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने सीमापार और आईएसआईएस प्रेरित आतंकवाद के खतरा बने रहने को रेखांकित करते हुए मंगलवार को कहा कि प्रगतिशील विचारों से कट्टरपंथ एवं चरमपंथ का मुकाबला करने में उलेमा की महत्वपूर्ण भूमिका है. ‘भारत और इंडोनेशिया में अंतर-धार्मिक शांति एवं सामाजिक सौहार्द की संस्कृति को आगे बढ़ाने में उलेमा की भूमिका’ विषय पर एक सत्र को संबोधित करते हुए डोभाल ने कहा कि हमें कट्टरता से दूर होने के साझे विचारों को मजबूत बनाने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि भारत और इंडोनेशिया आतंकवाद और अलगाववाद से पीड़ित रहे हैं. उन्होंने कहा कि जहां इन चुनौतियों से काफी हद तक निपटा गया है. वहीं, सीमापार और आईएसआईएस प्रेरित आतंकवाद खतरा बना हुआ है.

खतरों से निपटने के लिए नागरिक संस्थाओं का सहयोग जरूरी

एनएसए अजित डोभाल ने कहा कि आईएसआईएस प्रेरित व्यक्तिगत आतंकी प्रकोष्ठ तथा सीरिया एवं अफगानिस्तान स्थित ऐसे केद्रों से लौटने वालों के खतरों का मुकाबला करने के लिए नागरिक संस्थाओं का सहयोग जरूरी है. इस्लामी समाज में उलेमा की भूमिका को रेखांकित करते हुए अजित डोभाल ने कहा कि इस चर्चा का मकसद भारत और इंडोनेशिया के विद्वानों और उलेमा को सहिष्णुता, सौहार्द और शांतिपूर्ण सह अस्तित्व को बढ़ावा देने के लिये साथ आना है, ताकि हिंसक चरमपंथ, आतंकवाद और कट्टरपंथ के खिलाफ लड़ाई को मजबूती प्रदान की जा सके.

चरमपंथ और आतंकवाद इस्लाम के खिलाफ

बताते चलें कि इंडोनेशिया के राजनीतिक, कानूनी एवं सुरक्षा मामलों के समन्वय मंत्री मोहम्मद महफूद सोमवार से भारत की यात्रा पर हैं. उनके साथ 24 सदस्यीय एक शिष्टमंडल भी भारत की यात्रा पर आया है, जिसमें उलेमा के अलावा अन्य धार्मिक नेता भी शामिल हैं. इंडिया इस्लामिक सेंटर में इंडोनेशिया से आए शिष्टमंडल ने यहां भारतीय समकक्षों के साथ विभिन्न विषयों पर चर्चा की. डोभाल ने अपने शुरुआती संबोधन में कहा कि चरमपंथ और आतंकवाद इस्लाम के अर्थ के खिलाफ है, क्योंकि इस्लाम का मतलब शांति और सलामती होता है. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में नफरती भाषण, पूर्वाग्रह, दुष्प्रचार, हिंसा, संघर्ष और तुच्छ कारणों से धर्म के दुरुपयोग के लिए कोई स्थान नहीं है.

कट्टरपंथ का मुकाबला करने में उलेमा की भूमिका अहम

एनएसए डोभाल ने कहा कि इस्लाम के मूल सहिष्णु एवं उदारवादी सिद्धांतों के बारे में लोगों को शिक्षित करने तथा प्रगतिशील विचारों से कट्टरपंथ का मुकाबला करने में उलेमा की महत्वपूर्ण भूमिका है. उन्होंने अपने संबोधन में कट्टरपंथ का मुख्य निशाना युवाओं को बनाए जाने की बात पर भी जोर देते हुए कहा कि अगर इनकी ऊर्जा का सही ढंग से उपयोग किया जाता है, तब ये बदलाव के वाहक बनेंगे.

गलत सूचना के प्रसार और दुष्प्रचार का मुकाबला करने की जरूरत

उन्होंने कहा कि हमें गलत सूचना के प्रसार और दुष्प्रचार का मुकाबला करने की जरूरत है, जो विभिन्न आस्थाओं को मानने वालों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व से हो सकता है. उन्होंने कहा कि इसमें समाज से करीबी संपर्क के कारण उलेमा महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. डोभाल ने अपने संबोधन में भारत और इंडोनेशिया के करीबी संबंधों एवं सम्पर्कों का भी उल्लेख किया, जो चोल साम्राज्य के काल और उसके बाद से जारी है.

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उन्होंने कहा कि दोनों देशों की जनता के बीच गहन संपर्क के मध्य भारत और इंडोनेशिया लोकतंत्र आगे बढ़ रहे हैं तथा शांति एवं सौहार्द की आकांक्षा को साझा करते हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा कि भारत और इंडोनेशिया जैसे देश हिंसा और संघर्ष का त्याग करने का दुनिया को संयुक्त संदेश दे सकते हैं. उन्होंने दुनिया के समक्ष पेश आने वाली चुनौतियों में गरीबी, जलवायु परिवर्तन, खाद्य असुरक्षा, महामारी, भ्रष्टाचार, आय की असमानता, बेरोजगारी आदि का उल्लेख किया.

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