छह सालों में 45 फीसद बढ़ी मेडिकल कॉलेज की संख्या
इस वक्त देश में 541 मेडिकल कॉलेज हैं जिनमें से 280 सरकार और 261 प्राइवेट हैं.देश में एमबीबीएस की 80312 सीट सालाना मौजूद होती है. पिछले छह सालों में लगभग 45 फीसद मेडिकल कॉलेज की संख्या बढ़ी है. पिछले छह सालों में 48 फीसद मेडिकल कॉलेज की सीट बढ़ी है. साल 2014 में 54348 मेडिकल सीट थी जो 2020 में बढ़कर 80312 हो गयी है.
नयी दिल्ली : इस वक्त देश में 541 मेडिकल कॉलेज हैं जिनमें से 280 सरकार और 261 प्राइवेट हैं. देश में एमबीबीएस की 80312 सीट सालाना मौजूद होती है. पिछले छह सालों में लगभग 45 फीसद मेडिकल कॉलेज की संख्या बढ़ी है. पिछले छह सालों में 48 फीसद मेडिकल कॉलेज की सीट बढ़ी है. साल 2014 में 54348 मेडिकल सीट थी जो 2020 में बढ़कर 80312 हो गयी है.
सरकार नयी योजनाओं के तहत औऱ मेडकिल कॉलेज स्थापित करने की कोशिश कर रही है. इन मेडिकल कॉलेज को जिले के अस्पताल के साथ जोड़ा जायेगा खासकर उन इलाकों को जहां अबतक मेडिकल सुविधाएं आसानी से नहीं पहुंचती. 157 नये मेडिकल कॉलेज खोलने की इजाजत दी गयी है जिसमें से 43 चल रहे हैं.
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सरकार द्वारा चलाये जा रहे मेडिकल कॉलेज में कितनी फीस होगी इसका फैसला राज्य सरकार करेगी और प्राइवेट कॉलेज की फीस पर कमेटी फैसला लेगी जो राज्य के प्रति जवाबदेह होगी जिसका चेयरमेन हाई कोर्ट का रिटायर्ड जज होगा जो यह देखेगा कि फीस पर लिया गया फैसला सही है या नहीं.
At present, there are 541 medical colleges (280 under Government & 261 private) in the country with an intake capacity of 80,312 MBBS seats annually. The number of medical colleges has increased by around 45% over the last six years: Ministry of Health and Family Welfare pic.twitter.com/UuXIJo0X3X
— ANI (@ANI) September 18, 2020
साल 2019 में 25 नये सरकारी मेडिकल कॉलेज के साथ 2750 मेडिकल सीट्स में इजाफा हुआ था. सीट्स बढ़ने की यह अब तक की सबसे बड़ी संख्या मानी जाती थी. 2012 से सरकार मेडिकल सीट्स बढ़ाने की ओर प्रयास कर रही है लेकिन इसकी रफ्तार धीमी थी. दूसरी तरफ यह भी माना जा रहा है कि इस साल नीट का पेपर पिछले सालों की तुलना में काफी आसान था. एम्स में करीब 1200 सीटें है.
बीते साल नीट में 1200 के करीब रैंक हासिल करने वाले छात्र के 650 नंबर थे. पिछले साल 800की रैंक हासिल करने वाले छात्रों के 598 अंक थे. 9000वीं पर 595 नंबर थे. इसे समझें तो तीन नंबर के अंतर में 1000 विद्यार्थी थे . टाई के कारण रैंक अलग हो सकती है, पर मार्क्स एक जैसे होंगे. इस बार लोकसभा में सरकार ने एक सवाल के जवाब में जानकारी दी है कि कैसे पिछले छह सालों में मेडिकल कॉलेज की संख्या में वृद्धि हुई है.
Posted By – Pankaj Kumar Pathak