Bhopal: 35 किलोमीटर सफर कर बाघों के बीच पहुंचा चीता, वन अधिकारियों में दिखा रोमांच
Oban The Wanderer Cheetah: ओबन के माधव नेशनल पार्क पहुंचने से वन अधिकारियों और टीम चीता प्रोजेक्ट के अधिकारियों में काफी रोमांच देखा जा रहा है. ये दोनों ही इन अलग अलग प्रजातियों के बीच संभावित संपर्क को लेकर रोमांच में हैं.
Bhopal: कूनो बेशनल पार्क में कुछ ही दिनों पहले कई चीतों को छोड़ा गया था. इन सभी को अफ्रीका से भारत में लाया गया था. इन्हीं चीतों में से एक का नाम यहां ओबन रखा गया है. ओबन को कूनो नेशनल पार्क में घुमक्कड़ के नाम से भी जाना जाता है. ओबन ने एक और रोमांचक सफर शुरू कर दिया है. वह घूमते-घूमते माधव नेशनल पार्क पहुंच गया है. बता दें कूनो नेशनल पार्क से लेकर माधव नेशनल पार्क की दूरी 35 किलोमीटर है. जानकारी के लिए बता दें माधव नेशनल पार्क में बाघों का बसेरा है और हाल ही में यहां तीन बाघों को विचरण के लिए छोड़ा गया है.
वन अधिकारियों में दिखा रोमांच
ओबन के माधव नेशनल पार्क पहुंचने से वन अधिकारियों और टीम चीता प्रोजेक्ट के अधिकारियों में काफी रोमांच देखा जा रहा है. ये दोनों ही इन अलग अलग प्रजातियों के बीच संभावित संपर्क को लेकर रोमांच में हैं. सूत्रों की माने तो माधव नेशनल पार्क में ओबान के आने से कुछ अधिकारी इस चीते के लिए दूसरा घर समझ रहे हैं. बता दें ओबान ने लगभग 35 किलोमीटर की दूरी तय कर माधव नेशनल पार्क में कदम रखा है. इस पार्क में हाल ही में तीन बाघों को छोड़ा गया है. ओबान का यह सफर अनदेखा नहीं रहा है. उसके इस सफर ने काफी लोगों का ध्यान और उत्सुकता को अपनी ओर खींचा है. इस क्षेत्र में रहने वाले लोकल्स ओबन से एक सुरक्षित दूरी रख रहे हैं. लेकिन, इसके साथ ही ओबन की खूबसूरती को निहार भी रहे हैं.
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खेतों और नदियों के लिए दिखा ओबन का लगाव
जंगल में सफर के दौरान ओबन के पानी से भरे खेतों और नदियों के प्रति लगाव को देखा गया. उसे घने जंगल भी काफी पसंद आये. वन अधिकारियों की माने तो पिछले 5 से 6 दिनों के दौरान उसे कई बार इन जगहों पर देखा गया. सफर के दौरान कई बार उसे नदी के किनारे ठंडी जगहों पर भी बैठा हुआ देखा गया. लेकिन, ओबन ने शनिवार की रात 10 किलोमीटर का सफर तय किया और दिन के समय 5 किलोमीटर का सफर तय किया. सफर करते-करते उसे नजदीकी गांव के पास देखा गया.
सुरक्षा का रहा गया है पूरा ध्यान
वन अधिकारीयों ने मामले पर नजर बनाये रखी है. वे इस बात का ध्यान रखना चाहते हैं कि, चीता और एरिया में रहने वाले दोनों को ही सुरक्षित रखा जा सके. ओबन को बेहोश करने पर भी विचार किया गया है लेकिन ऐसा तभी किया जाएगा जब वह किसी अन्य व्यक्ति और जानवर के लिए खतरा साबित होगा.