OBC Bill: 2700 में 1000 जातियों को ही ओबीसी आरक्षण बिल का लाभ, आसान शब्दों में संविधान संशोधन को समझें
ओबीसी आरक्षण बिल: राजनीतिक रूप से सशक्त इस वर्ग को नाराज करने की हिम्मत किसी पार्टी में नहीं हुई. इसलिए इस बिल को सभी दलों ने बिना शर्त समर्थन दिया.
OBC Bill Explained: संसद का मानसून सत्र (Monsoon Session) भले हंगामे के भेंट चढ़ गया हो, लेकिन ओबीसी आरक्षण (OBC reservation) पर संविधान संशोधन बिल अभूतपूर्व समर्थन के साथ पास हो गया. विपक्षी दलों ने बिल को अर्थहीन भी कहा और इस संविधान संशोधन विधेयक (Constitution Amendment Bill) को अपना समर्थन भी दिया. संसद (Parliament) में ऐसा बहुत कम होता है कि विपक्ष को जो कानून पसंद न हो, उसे भी वह पूर्ण और बिना शर्त समर्थन दे. इसलिए यह जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर इस बिल (OBC Bill) के पक्ष में खड़ा होने की राजनीतिक दलों की क्या मजबूरी है? आइए, हम आपको बताते हैं कि संविधान संशोधन बिल का समर्थन सबकी मजबूरी क्यों थी.
वर्ष 2022 में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) समेत कई राज्यों में विधानसभा के चुनाव हैं. चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के मतदाता निर्णायक भूमिका में होते हैं. वे वर्षों से और आरक्षण की मांग कर रहे थे. राज्य सरकारें अपने हिसाब से ओबीसी की सूची तैयार करने की अनुमति मांग रही थी. ओबीसी रिजर्वेशन की मांग पर कई बार बड़े-बड़े आंदोलन हो चुके हैं. रेलमार्ग को जाटों ने जाम किया, लेकिन उन्हें आरक्षण नहीं मिला. महाराष्ट्र सरकार ने मराठा आरक्षण को बढ़ाया, तो सुप्रीम कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया. कहा कि ओबीसी लिस्ट (OBC List) में किसी जाति को शामिल करना केंद्र का अधिकार है. राज्य सरकारें ऐसा नहीं कर सकतीं.
मजबूरन केंद्र सरकार को संविधान संशोधन बिल लाना पड़ा. राजनीतिक रूप से सशक्त इस वर्ग को नाराज करने की हिम्मत किसी पार्टी में नहीं हुई. इसलिए इस बिल को सभी दलों ने बिना शर्त समर्थन दिया. पेगासस और किसानों के मुद्दे पर संसद के दोनों सदनों को बाधित करने वाले विपक्षी दलों ने ओबीसी आरक्षण से जुड़े 127वें संविधान संशोधन बिल पर बेहद शांति से चर्चा की. बिल पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून (OBC Amendment Act) बन जायेगा और राज्यों को ओबीसी की सूची में जातियों को शामिल करने का अधिकार मिल जायेगा.
इस संविधान संशोधन के बाद उत्तर प्रदेश की सरकार 39 जातियों को ओबीसी लिस्ट (OBC List) में शामिल कर सकेगी. यूपी में अभी 79 जातियां ओबीसी की सूची में है. बता दें कि देश भर में ओबीसी की 2700 जातियां हैं, जिसमें से सिर्फ 1000 जातियों को ही ओबीसी का दर्जा दिया गया है. यानी ओबीसी आरक्षण का लाभ इतनी ही जातियों को मिल रहा है.
OBC आरक्षण संशोधन बिल कैसे होगा लागू?
लोकसभा और राज्यसभा से पास OBC आरक्षण संशोधन बिल (OBC Bill 2021) को127 वें संविधान संशोधन बिल से आर्टिकल 342 ए(3) लागू किया जायेगा. राज्य अपने हिसाब से OBC सूची तैयार कर सकेंगे. पहले किसी भी जाति को OBC सूची में शामिल करने का अधिकार सिर्फ केंद्र के पास था.
किस राज्य में OBC का कितना बड़ा वोट बैंक?
उत्तर प्रदेश में 54.5 फीसदी वोटर OBC समुदाय से आते हैं. उत्तराखंड में यह आंकड़ा 18.3 फीसदी, गोवा में 17.9 फीसदी, मणिपुर में 52.7 फीसदी है. पंजाब में 16.1 फीसदी ओबीसी वोट बैंक है. वर्ष 2022 में इन राज्यों में चुनाव होना है और इस बड़े वोट बैंक को कोई नाराज नहीं करना चाहता.
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OBC पर कैसा संशोधन विधेयक?
केंद्र सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 342A, अनुच्छेद 338B और अनुच्छेद 366 में संशोधन का विधेयक संसद में पेश किया. इसमें संविधान में 127वें संशोधन के बाद राज्यों को अन्य पिछड़ा वर्ग के दायरे में किसी जाति को शामिल करने का अधिकार मिल जायेगा.
OBC पर संशोधन विधेयक क्यों?
OBC आरक्षण बिल के कानून बनने के बाद महाराष्ट्र में मराठा, गुजरात में पटेल, हरियाणा में जाट समुदाय और कर्नाटक में लिंगायत समुदाय को OBC वर्ग में शामिल करने का अधिकार मिल जायेगा. इसका अर्थ यह हुआ कि आने वाले दिनों में कई राज्यों में सियासत की सुई OBC कल्याण और सूची के इर्द-गिर्द ही घूमेगी.
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OBC Bill का फायदा किसको?
OBC (अन्य पिछड़ा वर्ग) को आरक्षण का मुद्दा सीधे वोट बैंक से जुड़ा है. महाराष्ट्र में मराठा, राजस्थान में गुर्जर, हरियाणा में जाट, कर्नाटक में लिंगायत. हर राज्य में कई जातियां खुद को ओबीसी की सूची में शामिल करने के लिए आंदोलन करती रही हैं. इसका खामियाजा केंद्र सरकार को उठाना पड़ता था. अब ओबीसी में नयी जातियों को शामिल करने का हक राज्यों को मिलेगा, तो भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) इसका दोहरा लाभ ले सकती है.
50 फीसदी आरक्षण की सीमा हटाने की मांग
कांग्रेस (Congress), बीजू जनता दल (BJD), शिवसेना (Shiv Sena), समाजवादी पार्टी (SP), बहुजन समाज पार्टी (BSP), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP), जनता दल यूनाइटेड (JDU), अपना दल (Apna Dal), तेलुगु देशम पार्टी (TDP), ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (AIMIM) ने आरक्षण पर 50% की सीमा हटाने की मांग की.
Posted By: Mithilesh Jha