OBC Reservation: मुस्लिमों के 4% आरक्षण मामले में सुनवाई 9 मई तक स्थगित, कर्नाटक सरकार के फैसले पर रोक
सुप्रीम कोर्ट ने मुसलमानों के लिए 4% ओबीसी आरक्षण खत्म करने के कर्नाटक सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई 9 मई तक के लिए स्थगित कर दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने मुसलमानों के लिए 4% ओबीसी आरक्षण खत्म करने के कर्नाटक सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई 9 मई तक के लिए स्थगित कर दी है. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि मुसलमानों के चार प्रतिशत आरक्षण को रद्द करने का कर्नाटक सरकार का फैसला नौ मई तक लागू नहीं किया जाएगा.
आरक्षण मामले में सुप्रीम कोर्ट में 9 मई को होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि कर्नाटक सरकार का मुस्लिमों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण खत्म करने का फैसला 9 मई तक लागू नहीं होगा क्योंकि राज्य ने अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा है. जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि मुसलमानों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण का पिछली सरकार का फैसला नौ मई तक जारी रहेगा. नौ जुलाई को राज्य सरकार द्वारा दी जाने वाली दलीलों पर बिना किसी पूर्वाग्रह के इस मामले की आगे की सुनवाई की जाएगी.
आरक्षण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने की थी ऐसी टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने 13 अप्रैल को कहा था कि सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में वोक्कालिगा और लिंगायत समुदायों के लिए आरक्षण में दो-दो प्रतिशत वृद्धि करने एवं ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) मुसलमानों के चार प्रतिशत आरक्षण को खत्म करने का कर्नाटक सरकार का फैसला प्रथम दृष्टया त्रुटिपूर्ण प्रतीत होता है.
बसवराज बोम्मई की सरकार ने मुसलमानों के लिए आरक्षण खत्म करने का फैसला किया
कर्नाटक में बसवराज बोम्मई की सरकार ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुसलमानों के लिए आरक्षण खत्म करने का फैसला किया था. कर्नाटक सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग के मुसलमानों के लिए चार फीसदी कोटा समाप्त करते हुए सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण की दो नयी श्रेणियों की घोषणा की थी. ओबीसी मुसलमानों के चार फीसदी कोटे को वोक्कलिगा और लिंगायत समुदायों के बीच बांट दिया गया है। यही नहीं, आरक्षण के लिए पात्र मुसलमानों को आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के तहत वर्गीकृत कर दिया गया है. राज्य सरकार के फैसले के बाद अब वहां आरक्षण की सीमा करीब 57 फीसदी हो गई है.
तेलंगाना में मुसलमानों का आरक्षण समाप्त करने वाले शाह के बयान पर ओवैसी ने भाजपा पर साधा निशाना
तेलंगाना में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सत्ता में आने पर मुसलमानों को दिए गए आरक्षण को खत्म करने संबंधी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने पलटवार करते हुए कहा कि राज्य में मुसलमानों में पिछड़ी जातियों होने के नाते आरक्षण दिया जा रहा है न कि धर्म के आधार पर.
ओवैसी ने पीएम मोदी पर लगाया गंभीर आरोप
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पार्टी कार्यकर्ताओं को ‘पसमांदा’ (पिछड़े) मुसलमानों तक पहुंचने स्थापित करने का कहने की खबरों पर उन्होंने दावा किया कि भाजपा और मोदी के बयानों में कोई सच्चाई नहीं है. ओवैसी ने कहा, तेलंगाना में बीसी (ई) श्रेणी में जो आरक्षण उपलब्ध है, वह मुसलमानों के अंदर जातियों को दिया जाता है. भाजपा पर निशाना साधते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी पसमांदा मुसलमानों और उनके सशक्तिकरण के खिलाफ है.
ओवैसी ने आरक्षण को लेकर केंद्र सरकार से पूछा सवाल
ओवैसी ने पूछा कि अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण छह प्रतिशत से बढ़ाकर नौ प्रतिशत करने और मुसलमानों में जातियों को 12 प्रतिशत आरक्षण देने के कानून पर भी केंद्र तेलंगाना विधानसभा के प्रस्ताव पर चुप क्यों है? उन्होंने कहा, कुल मिलाकर यह मुसलमानों के सशक्तिकरण को रोकने के लिए भाजपा का एक सुनियोजित तरीका है.
शाह ने मुस्लिम आरक्षण समाप्त करने का लिया था संकल्प
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चेवेल्ला में विजय संकल्प सभा को संबोधित करते हुए था कि अगर भाजपा तेलंगाना की सत्ता में आती है, तो मुस्लिमों को दिया गया आरक्षण समाप्त कर दिया जाएगा.