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मोदी सरकार ने ओबीसी आरक्षण को लेकर लिया बड़ा फैसला, पड़ेगा यूपी चुनाव पर असर ?

नरेंद्र मोदी की सरकार पर विपक्ष पिछड़ों को सवाल करता रहा है. यह फैसला उन सारे सवालों का एक साथ जवाब माना जा रहा है. भाजपा इस फैसले के जरिये पिछड़ों में भी अपने जनाधार को मजबूत कर रही है.

उत्तर प्रदेश में अगले साल चुनाव होने हैं. सरकार चुनाव से पहले कई ऐसे फैसले ले सकती है जिससे चुनावी रण में फायदा मिल सकता है. केंद्र की भाजपा सरकार मेडिकल कॉलेजों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) श्रेणी के छात्रों के लिए आरक्षण को मंजूरी देने का फैसले को अपने पक्ष में करके चुनावी बढ़त हासिल कर सकती है. इस फैसले के बाद सामाजिक न्याय और राजनीतिक तौर पर मजबूती के संकेत भाजपा दे रही है.

नरेंद्र मोदी की सरकार पर विपक्ष पिछड़ों को सवाल करता रहा है. यह फैसला उन सारे सवालों का एक साथ जवाब माना जा रहा है. भाजपा इस फैसले के जरिये पिछड़ों में भी अपने जनाधार को मजबूत कर रही है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने अपनी सरकार में ओबीसी प्रतिनिधित्व को बढ़ाकर 27 कर दिया. इस बड़े फेरबदल को रणनीतिक तौर पर बेहद अहम माना जा रहा है. इन बदलावों में पांच कैबिनेट मंत्री भी शामिल थे .

केंद्र सरकार ने मराठा आरक्षण के फैसले में संविधान के 102वें संशोधन की अदालत की व्याख्या को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक समीक्षा याचिका दायर की, जिसने सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों की पहचान करने और उन्हें अधिसूचित करने की राज्यों की शक्ति को खत्म कर दिया है.

भाजपा की रणनीति इसलिए भी मजबूत कही जा रही है क्योंकि भाजपा अपने पुराने अनुभवों से सीख रही है. इसका सबसे बड़ा उदारहरण था बिहार चुानव राजद को बिहार चुनाव में अच्छी जीत मिली. इस जीत में एक बड़ा हिस्सा पिछड़े वर्ग का था.

अब यूपी चुनाव में पार्टी इस वोटबैंक को अपने हाथ से नहीं खिसकने देना चाहती. पार्टी अपने फैसले अपनी रणनीति से यह सुनिश्चित करना चाहती है कि ओबीसी समुदायों के बीच उसका समर्थन बरकरार रहे. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और बसपा के कमजोर होने के साथ, भाजपा के रणनीतिकारों को आशंका है कि समाजवादी पार्टी ओबीसी वोटों के एक हिस्से को जीत सकती है और अल्पसंख्यक वोटों को मजबूत कर सकती है.

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भारतीय जनता पार्टी यह अच्छी तरह जानती है कि 2019 के आम चुनावों में मिली जीत के बाद उस पर पिछड़ा वर्ग के समर्थन और रणनीति को लेकर सवाल खड़े होने लगे थे. इस मुद्दे को समझते हुए भाजपा ने कैबिनेट में फेरबदल किया और एक बड़ा दांव खेला हालिया कैबिनेट फेरबदल ने उन आशंकाओं को शांत कर दिया.

यह फैसला भी संयोग से ऐसे समय में आया है जब एक दिन पहले ही ओबीसी समुदायों के बीजेपी और एनडीए सांसदों के प्रतिनिधिमंडल के प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की थी. इस प्रतिनिधिमंडल ने यही मांग प्रधानमंत्री के सामने रखी और इस पर फैसला हो गया.

प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा रहे भाजपा सांसद गणेश सिंह ने कहा, “यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है.” “ओबीसी के लिए नौकरियों में 27 प्रतिशत आरक्षण के बावजूद, आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग के छात्रों को मेडिकल कॉलेजों में आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा था.

ओबीसी समुदायों की ओर से बहुत सारी शिकायतें आई हैं और स्थिति थोड़ी खराब होती जा रही थी. एक पार्टी के रूप में भाजपा को लगने लगा कि यह अन्याय है, और प्रधानमंत्री मोदी जी ने भी स्वीकार किया कि यह उचित नहीं है.

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उन्होंने कहा, ‘भाजपा वह पार्टी है जिसने ओबीसी के लिए सबसे ज्यादा काम किया. मंडल आयोग के बाद समुदायों को कुछ खास नहीं हुआ. लेकिन इस सरकार ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के लिए विधेयक पारित किया.

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