अचानक से महानदी में डूबा 500 साल पुराना गोपीनाथ मंदिर बाहर आया, 19वीं शताब्दी में हुआ था जलमग्न

ओडिशा के नयागड़ जिले में महानदी में डूबा करीब पांच सौ साल पुराना गोपीनाथ मंदिर मिला है. नदी घाटी में मौजूद ऐतिहासिक विरासत का दस्तावेजीकरण कर रहे विशेषज्ञों ने यह जानकारी दी. यह खबर सामने आते ही अब इस जगह पर लोगों की भीड़ भी जम रही है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 17, 2020 11:05 AM

ओडिशा के नयागड़ जिले में महानदी में डूबा करीब पांच सौ साल पुराना गोपीनाथ मंदिर मिला है. नदी घाटी में मौजूद ऐतिहासिक विरासत का दस्तावेजीकरण कर रहे विशेषज्ञों ने यह जानकारी दी. यह खबर सामने आते ही अब इस जगह पर लोगों की भीड़ भी जम रही है. आस पास के गांव के लोग तथा इतिहासकारों के मुताबिक पहले इस जगह पर पद्मावती गांव था. न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, ओडिशा में इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट ऐंड कल्चर हेरिटेज (इनटैक) के रिसर्च स्कॉलरअनिल धीर ने बताया कि 60 फीट ऊंचा मंदिर माना जा रहा है कि करीब 500 साल पुराना है और हाल में परियोजना के तहत इसका पता लगाया गया.

धीर ने बताया कि डेढ़ सौ साल पहले महानदी में जब बाढ़ आई थी तब ये मंदिर और गांव नदी में डूब गए थे. उन्होंने कहा, हमें इस मंदिर की खोज थी एक हफ्ते पहले हमें पता चला कि इस मंदिर का मस्तक पानी के ऊपर नज़र आ रहा है. फिर हमने वहां जाकर देखा और हमें पता चला कि ये मंदिर 55-60 फीट ऊंचा मंदिर था जो सिर्फ 8 फीट पानी में है. हम चाहेंगे कि इस मंदिर को फिर से पूर्ण उद्धार किया जाए.

धीर ने कहा कि हम जल्द ही एएसआई को पत्र लिख कर मंदिर को उचित स्थान पर स्थानांतरित करने का अनुरोध करेंगे क्योंकि उनके पास इसकी तकनीक है. राज्य सरकार को भी इस मामले को एएसआई के समक्ष उठाना चाहिए. उन्होंने कहा कि अब तक इंटैक ने दस्तावेजीकरण परियोजना के तहत महानदी में मौजूद 65 प्राचीन मंदिरों का पता लगाया है. धीर ने बताया कि इनमें से कई मंदिर हीराकुंड जलाश्य में हैं जिन्हें वहां से हटा कर उनका पुर्निर्माण किया जा सकता है.

महानदी घाटी स्थित विरासतों पर चल रहा है शोध

धीर ने बताया कि इंटैक ओडिशा ने अपनी परियोजना के तहत महानदी घाटी स्थित विरासतों के दस्तावेजीकरण का काम पिछले साल शुरू किया था. उन्होंने बताया कि महानदी के उद्गम स्थल से लेकर समुद्र में मिलने तक के 1700 किलोमीटर के रास्ते में मौजूद सभी स्पष्ट और गैर स्पष्ट विरासत का विधिवत सर्वेक्षण किया जा रहा है और यह अंतिम चरण में है. धीर ने बताया कि अगले साल कई भागों में करीब 800 स्मारकों पर रिपोर्ट जारी की जाएगी.

इंटैक की राज्य समन्वयक अमिया भूषण त्रिपाठी ने बताया कि भारत में किसी नदी का इस तरह का यह पहला अध्ययन है और न्यास ने पायलट परियोजना के तहत यह किया है. पुरानी जगन्नाथ सड़क और प्राची घाटी के दस्तावेजीकरण परियोजना का नेतृत्व कर चुके धीर ने कहा कि महानदी की संपन्नता और विविधिता का अभी तक ठीक से अध्ययन नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि कई प्राचीन स्मारक या तो नष्ट हो गए हैं जर्जर अवस्था में हैं. धीर ने कहा कि हीराकुड बांध की वजह से करीब 50 प्राचीन मंदिर नष्ट हो गए हैं.

स्थानीय लोगों के मुताबिक, 1800 से 1900 शताब्दी में यहां पद्मावती गांव हुआ करता था. कालांतर में महानदी में बार-बार बाढ़ आने के कारण ये गांव महानदी में लीन हो गया. यहां के लोग तो ऊंचे स्थान पर चले गए. लेकिन नदी में यहां की कुछ कला और संस्कृति की निशानी भी लीन हो गई. इलाके के लोगों का ये कहना है कि ये प्राचीन गोपीनाथ मंदिर की हिस्सा है. जीन्यूज के मुताबिक, शोधकर्ताओं के मुताबिक, जिस स्थान पर ये मंदिर मिला है, उस इलाके को सतपताना कहते हैं. यहां पर एक साथ सात गांव हुआ करते थे. सातों गांवों के लोग इसी मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा किया करते थे.

Posted By: Utpal kant

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