ओडिशा के बालासोर में हुए भीषण ट्रेन हादसे ने एक बार फिर रेलवे प्रशासन पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं. मगर इन सब के बीच कुछ ऐसी बातें भी हैं जिन्हे जानना बेहद जरूरी है. आपको बताएं भारतीय रेलवे रेल सुरक्षा को लेकर लगातार प्रयासरत रही है चाहे वो रेल की आंतरिक सुरक्षा रही हो या बाह्य भारतीय रेलवे का फोकस हमेशा रेलवे सुरक्षा को लेकर रहा है. इसी के मद्देनजर भारतीय रेलवे ने ‘कवच’ नामक स्वदेशी सुरक्षा कवच का निर्माण करवाया था जिससे ट्रेन हादसों पर लगाम लग सकती थी, बावजूद इसके ओडिशा के बालासोर में इतना भीषण ट्रेन हादसा हो गया.
Kavach: Train Defense System
Indian Railways successfully conducted trial of #MadeInIndia train defense system KAVACH, today.
It will strengthen the safety and prevent train collisions.#BharatKaKavach pic.twitter.com/juXQNag6IR
— Ministry of Railways (@RailMinIndia) March 4, 2022
इस हादसे से पहले देश में रेल हादसों को रोकने के लिए भारतीय रेलवे एक ऐसी जबरदस्त तकनीक विकसित कर चुका था. अगर एक ही पटरी पर ट्रेन आमने-सामने भी आ जाए तो एक्सीडेंट नहीं होगा. खास बात है कि इस तकनीक का सफल प्रयोग पिछले साल ही किया जा चुका है और इस ‘कवच’ टेक्नोलॉजी (Kavach Technology) को देश के सभी रेलवे ट्रैक पर लागू करने की दिशा में काम जारी था.
पिछले साल मार्च में कवच टेक्नोलॉजी का सफल ट्रायल किया गया था. इस दौरान एक ही ट्रैक पर दौड़ रही दो ट्रेनों में से एक गाड़ी में केन्द्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) सवार थे और दूसरी ट्रेन के इंजन में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन मौजूद थे. एक ही पटरी पर आमने सामने आ रहे ट्रेन और इंजन ‘कवच’ टेक्नोलॉजी के कारण टकराए नहीं, क्योंकि कवच ने रेल मंत्री की ट्रेन को सामने आ रहे इंजन से 380 मीटर दूर ही रोक दिया और इस तरह परीक्षण सफल रहा. आइये आपको बताते हैं कि आखिर क्या है यह तकनीक और किन रेल रूट पर इसे लागू किया जा चुका है.
‘कवच’ स्वदेशी रूप से विकसित ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (Automatic Train Protection) सिस्टम है, इसे भारतीय रेलवे द्वारा दुनिया की सबसे सस्ती स्वचालित ट्रेन टक्कर सुरक्षा प्रणाली के रूप में देखा जा रहा है. कवच तकनीक, उस स्थिति में एक ट्रेन को ऑटोमेटिक रूप से रोक देगी, जब उसे निर्धारित दूरी के भीतर उसी लाइन पर दूसरी ट्रेन के होने की जानकारी मिलेगी. साथ ही डिजिटल सिस्टम रेड सिग्नल के “जंपिंग” या किसी अन्य खराबी की सूचना देता है तो ‘कवच’ के माध्यम से ट्रेनें अपने आप रुक जाएंगी. इससे दुर्घटनाओं और कई अवांछित घटनाओं व गलतियों से बचा जा सकेगा.
एक रिपोर्ट के अनुसार, 31 दिसंबर 2022 तक, कवच के तहत भारतीय रेलवे नेटवर्क के 1,455 किलोमीटर रूट को कवर किया गया. वर्तमान में दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा कॉरिडोर (3,000 रूट किलोमीटर) पर ‘कवच’ का काम चल रहा है. कवच को हर साल 4,000 से 5,000 किलोमीटर में रोल आउट किया जाएगा. वहीं ओडिशा के बालासोर में हुए भीषण ट्रेन हादसे को देखते हुए ये प्रतीत होता है कि अबतक इस रूट में ‘कवच’ सुरक्षा प्रणाली का प्रयोग संभवतः नहीं किया गया होगा. इधर रेलवे की सूत्रों की मानें तो ताजा हादसा ट्रेन के डीरेल होने की वजह से हुआ है इसमें सिग्नल का दोष नहीं बताया जा रहा है.