ये है बालासोर ट्रेन हादसे की असली वजह! रेलवे सुरक्षा आयुक्त ने सौंपी रिपोर्ट
2 जून को, ओडिशा के बालासोर जिले के बहनागा बाजार रेलवे स्टेशन पर कोरोमंडल एक्सप्रेस, यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस और लौह अयस्क से भरी मालगाड़ी की एक घातक ट्रिपल-ट्रेन दुर्घटना हुई, जिसके परिणामस्वरूप कम से कम 290 लोगों की मौत हो गई और 1,200 यात्री घायल हो गए थे.
बालासोर ट्रेन हादसे पर सीआरएस रिपोर्ट सौंप दी गई है, मगर रेलवे ने यह सुनिश्चित करने के लिए रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं करने का फैसला किया है कि दुर्घटना की सीबीआई जांच पर कोई प्रभाव या हस्तक्षेप न हो. एक रेलवे अधिकारी ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि, बालासोर ट्रेन दुर्घटना की जांच कर रहे रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) ने गुरुवार को अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसमें उन्होंने सिग्नलिंग और दूरसंचार विभाग (एसएंडटी) की खामियों की ओर इशारा किया.
रिले रूम के प्रभारी कुछ कर्मचारियों के साथ-साथ कुछ विभागों की ओर से खामियां पाई गई हैं
अधिकारी ने कहा, “रिपोर्ट जमा कर दी गई है और इसमें रिले रूम के प्रभारी कुछ कर्मचारियों के साथ-साथ कुछ विभागों की ओर से खामियां पाई गई हैं.” यह पूछे जाने पर कि क्या रिपोर्ट में किसी अन्य संलिप्तता का संकेत दिया गया है, अधिकारी ने कहा, यदि कोई है, तो उसकी जांच केवल सीबीआई द्वारा की जाएगी.” सीआरएस जांच के अलावा, सीबीआई भी घटना की जांच कर रही है.
रिपोर्ट को नहीं किया गया है सार्वजनिक
हालांकि, अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि रेलवे ने यह सुनिश्चित करने के लिए रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं करने का फैसला किया है कि दुर्घटना की सीबीआई जांच पर कोई प्रभाव या हस्तक्षेप न हो. “हम (सीबीआई की) चल रही एक और स्वतंत्र जांच के कारण सीआरएस रिपोर्ट का खुलासा नहीं करेंगे. यह सुनिश्चित करना है कि यह रिपोर्ट किसी भी तरह से अन्य रिपोर्ट को प्रभावित या हस्तक्षेप न करे. हम दोनों रिपोर्टों का संज्ञान लेंगे और घटना का समग्र मूल्यांकन करेंगे और फिर जो भी आवश्यक कदम होंगे, उठाएंगे, ”एक अन्य रेलवे अधिकारी ने कहा.
ऐसे हुआ था हादसा ?
आमतौर पर, ऐसी रिपोर्टें शीर्ष अधिकारियों तक पहुंच पाती हैं ताकि सीआरएस द्वारा की गई सिफारिशों को सख्ती से नोट किया जा सके और लागू किया जा सके. अधिकारियों ने कहा कि सीआरएस आम तौर पर किसी भी दुर्घटना के एक सप्ताह के भीतर अंतिम रिपोर्ट से पहले एक अंतरिम रिपोर्ट दाखिल करता है, लेकिन इस बार, उसने सिर्फ एक रिपोर्ट जमा की है. रिपोर्ट सौंपे जाने के कुछ दिन पहले, रेलवे बोर्ड ने अपने सभी रिले रूम के लिए ट्रेन नियंत्रण तंत्र, रिले हट (लेवल-क्रॉसिंग के सिग्नलिंग और दूरसंचार उपकरण), और पॉइंट और ट्रैक सर्किट सिग्नल के साथ डबल-लॉकिंग व्यवस्था का आदेश दिया था. इसने एक पत्र में संकेत दिया था कि ‘रिले रूम तक पहुंच’ ‘सिग्नलिंग में हस्तक्षेप’ एक कारण था, जिसके कारण कोरोमंडल एक्सप्रेस बालासोर में लूप लाइन ले गई और एक स्थिर मालगाड़ी से टकरा गई. इसका उद्देश्य रिले रूम तक पहुंच को छेड़छाड़-प्रूफ बनाना था, जिसे डबल लॉकिंग सिस्टम द्वारा प्राप्त किया जा सकता था जो कमरों तक पहुंच की अनुमति नहीं देगा.
ग्रीन सिग्नल’ पाने के लिए लोकेशन बॉक्स में हेराफेरी की गई!
अधिकारियों ने यह भी कहा कि स्टेशन प्रबंधक को एक डिस्कनेक्शन मेमो (इंटरलॉकिंग सिस्टम को बंद करने और काम शुरू करने के लिए) और एक रीकनेक्शन मेमो (काम खत्म होने का संकेत देने वाला सिस्टम का दोबारा कनेक्शन) प्राप्त हुआ था. अधिकारी ने निष्कर्ष निकाला, “हालांकि, वास्तव में, तकनीशियन ने सिस्टम को बायपास कर दिया क्योंकि काम पूरा नहीं हुआ था और उसने कोरोमंडल एक्सप्रेस के लिए ‘ग्रीन सिग्नल’ पाने के लिए लोकेशन बॉक्स में हेराफेरी की गई. ऐसा अधिकारियों ने अनुमान लगाया है
2 जून को, ओडिशा के बालासोर में हुआ था हादसा, 290 लोगों की हुई थी मौत
आपको बताएं, 2 जून को, ओडिशा के बालासोर जिले के बहनागा बाजार रेलवे स्टेशन पर कोरोमंडल एक्सप्रेस, यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस और लौह अयस्क से भरी मालगाड़ी की एक घातक ट्रिपल-ट्रेन दुर्घटना हुई, जिसके परिणामस्वरूप कम से कम 290 लोगों की मौत हो गई और 1,200 यात्री घायल हो गए थे.