नयी दिल्ली (अंजनी कुमार सिंह) : सत्रहवीं लोकसभा के तीन वर्ष पूरे हो गये हैं. इन तीन वर्षों में सदन की उत्पादकता में एक ओर जहां उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, वहीं कानून के निर्माण और जनहित से जुड़े विषयों पर चर्चा का समय बढ़ा है. बिल पर चर्चा और उत्पादकता की बात करें, तो पिछले तीन वर्षों के आंकड़े बताते हैं कि बीते 18 वर्षों में सबसे ज्यादा काम 17वीं लोकसभा के पहले तीन वर्षों में हुआ है. 15वीं लोकसभा की उत्पादकता 71 प्रतिशत,16वीं की उत्पादकता 95 प्रतिशत जबकि 2019 में ओम बिरला के लोकसभा अध्यक्ष बनने के बाद उत्पादकता का स्तर 106 प्रतिशत तक पहुंच गया है.
पिछले तीन सालों के कामकाज इस मायने में भी महत्वपूर्ण हैं कि पिछले दो साल देश कोरोना से प्रभावित रहा है और कोरोना काल में भी कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए सदन को सुचारु संचालन किया गया. इस दौरान वित्तीय स्थिति पर भी खासा ध्यान रखा गया और लोकसभा के अनावश्यक खर्चे को कम किया गया. इसमें तकनीक का इस्तेमाल कर कागज को कम करना, लोकसभा का अपना प्रिंटिंग प्रेस होने के बाद भी बाहर से प्रिंट कराने पर रोक, फूलों और गुलदस्ते पर होने वाले खर्च पर रोक आदि शामिल हैं. इन खर्चों का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि तीन वर्ष में 668.86 करोड़ रुपये बचाये गये.
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लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने अपने तीन साल के कार्यकाल को महत्वपूर्ण बताते हुए ‘प्रभात खबर’ को दिये एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कहा कि उनकी प्राथमिकता रही है कि हर सांसद अपने-अपने क्षेत्र की समस्या को लोकसभा में रखे. एक-एक सांसद का नाम और उनके काम को जानने वाले स्पीकर ने कहा कि वह भी एमपी रहे हैं और लोकसभा में पूछे जाने वाले सवालों का अपने क्षेत्र में क्या महत्व होता है, इससे वह भलीभांति परिचित हैं. इसलिए उनका प्रयास पहले सत्र से ही रहा कि सभी सांसद अपनी बात रख सकें. उन्होंने कहा कि बीते तीन सालों में लोकसभा की उत्पादकता पिछले 18 वर्षों से ज्यादा रही है.
यह पूछे जाने पर कि सांसद को बोलने का आप सिर्फ एक मिनट का समय देते हैं, इसमें वह अपनी बात कैसे रख पायेंगे, उन्होंने कहा कि अपने क्षेत्र की समस्या और सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए एक मिनट का समय भी कम नहीं है. यदि सांसद ‘टू द प्वाइंट’ बात रखें, तो अपनी बात को रख सकते हैं. महिला सांसदों से संबंधित सवाल के जवाब में लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि महिला सांसदों की सक्रियता बढ़ी है. यह लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत है. महिला सांसद वाद-विवाद या परिचर्चा में खुलकर भाग लेती हैं और अपनी बात को प्रभावी तरीके से रखती हैं. उनकी उपस्थिति भी किसी से कम नहीं है.
सदन में वाद-विवाद बढ़ने और संसद के सुचारु संचालन में व्यवधान से संबंधित सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अपनी बात को रखने के लिए सदन को स्थगित करना सही नहीं है. अपना विरोध दर्ज कराना सही है, लेकिन सदन को स्थगित करके नहीं.
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एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने सांसदों की प्रशंसा करते हुए कहा कि अब देर रात तक सदन चलती है और सांसद लोग भी कार्यवाही के संचालन में अपनी सक्रिय सहभागिता निभाते हैं. कांग्रेस सांसदों के प्रतिनिधिमंडल द्वारा दिये गये प्रिविलेज नोटिस से संबंधित सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इसकी एक प्रक्रिया है और घटना के संबंध में नियम के मुताबिक इस पर कार्यवाही की जायेगी.
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