कोरोना महामारी में एक करोड़ भारतीयों ने खोई अपनी नौकरी, 97 फीसद परिवारों की आय में गिरावट : रिपोर्ट

नयी दिल्ली : कोरोनावायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) ने देश की हालत खबरा कर दी है. इस आपदा में किसी ने अपनों को खोया तो किसी ने अपनी नौकरी को. कोविड-19 (Covid-19) के कारण करीब एक करोड़ लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी महेश व्यास ने कहा कि कोविड -19 की दूसरी लहर के कारण 10 मिलियन से अधिक भारतीयों ने अपनी नौकरी (Jobs) खो दी है. वहीं, पिछले साल महामारी की शुरुआत के बाद से लगभग 97 प्रतिशत परिवारों की आय में गिरावट आई है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 1, 2021 7:55 AM

नयी दिल्ली : कोरोनावायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) ने देश की हालत खबरा कर दी है. इस आपदा में किसी ने अपनों को खोया तो किसी ने अपनी नौकरी को. कोविड-19 (Covid-19) के कारण करीब एक करोड़ लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी महेश व्यास ने कहा कि कोविड -19 की दूसरी लहर के कारण 10 मिलियन से अधिक भारतीयों ने अपनी नौकरी (Jobs) खो दी है. वहीं, पिछले साल महामारी की शुरुआत के बाद से लगभग 97 प्रतिशत परिवारों की आय में गिरावट आई है.

व्यास ने समाचार एजेंसी पीटीआई भाषा से कहा कि थिंक-टैंक की रिपोर्ट में देखा गया है कि भारत में मई के अंत में बेरोजगारी दर 12 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो अप्रैल में 8 प्रतिशत थी. उन्होंने कहा कि इससे सहजही अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस दौरान करीब 10 मिलियन भारतीयों ने अपनी नौकरी गंवा दी है. उन्होंने कहा कि नौकरी छूटने का मुख्य कारण कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर है.

उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था खुलेगी, समस्या कुछ हल हो जायेगा लेकिन पूरी तरह से नहीं. उन्होंने कहा कि जो लोग नौकरी खो देते हैं उन्हें रोजगार मिलना मुश्किल होता है. अनौपचारिक क्षेत्रों में नौकरियों आसानी से मिल जाती हैं लेकिन औपचारिक क्षेत्र में बेहतर नौकरी के वापस आने में करीब-करीब एक साल का समय लग जाता है.

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पिछले साल महामारी के दौरान राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण मई 2020 में बेरोजगारी दर 23.5 प्रतिशत के रिकॉर्ड उच्च स्तर को छू गई थी. इस साल के बारे में कई विशेषज्ञों का मानना है कि संक्रमण की दूसरी लहर अपने चरम पर पहुंच गई है और राज्य धीरे-धीरे आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित करने वाले प्रतिबंधों में ढील देना शुरू कर देंगे.

व्यास ने आगे कहा कि 3-4 प्रतिशत की बेरोजगारी दर को भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए “सामान्य” माना जाना चाहिए, यह संकेत देते हुए कि स्थिति में सुधार होने से पहले बेरोजगारी की संख्या में और गिरावट आयेगी. उन्होंने कहा कि सीएमआईई ने अप्रैल में 1.75 लाख घरों का राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण पूरा किया है, जो पिछले एक साल के दौरान आय सृजन पर चिंताजनक रुझान पेश करता है. जिसमें महामारी की दो लहरें देखी गई हैं.

उन्होंने कहा कि इस सर्वे में शामिल होने वाले लोगों में से केवल 3 प्रतिशत ने कहा कि उनकी आय में वृद्धि हुई है, जबकि 55 प्रतिशत ने कहा कि उनकी आय में गिरावट आई है. करीब 42 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनकी आय वही रही जो एक साल पहले की अवधि में थी.

Posted By: Amlesh Nandan.

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