Loading election data...

वन नेशन-वन इलेक्शन पर बनी कमेटी, रामनाथ कोविंद होंगे अध्यक्ष – सूत्र

केंद्र सरकार ने वन नेशन-वन इलेक्शन की ओर कदम बढ़ाते हुए एक बाद फैसला लिया है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सरकार ने वन नेशन-वन इलेक्शन पर एक कमिटी का गठन किया है जिसकी अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद करेंगे.

By Aditya kumar | September 1, 2023 12:58 PM

One Nation-One Election : केंद्र सरकार ने वन नेशन-वन इलेक्शन की ओर कदम बढ़ाते हुए एक बाद फैसला लिया है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सरकार ने वन नेशन-वन इलेक्शन पर एक कमिटी का गठन किया है. जानकारी यह भी है कि कमिटी की अध्यक्षता भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद करेंगे. हालांकि, इससे संबंधित कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई है. लेकिन अगर ऐसा होता है तो केंद्र सरकार का यह बड़ा कदम माना जा रहा है.

विपक्ष ने जताया विरोध

इन तमाम अटकलों पर बात करते हुए कांग्रेस पार्टी के नेता और लोकसभा सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि देश में अभी वन नेशन-वन इलेक्शन की जरूरत नहीं है. साथ ही उन्होंने कहा कि देश में अभी बेरोजगारी और महंगाई की समस्या का समाधान करना जरूरी है. साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि इस बिल पर सरकार की नीयत अच्छी नहीं लग रही है.

विशेष सत्र बुलाए जाने के एक दिन बाद यह सामने आया

सरकार द्वारा 18 सितंबर से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने के एक दिन बाद यह कदम सामने आया है. सरकार ने हालांकि संसद के विशेष सत्र का एजेंडा घोषित नहीं किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने पर कई साल से दृढ़ता से जोर दे रहे हैं और इस संबंध में संभावनाओं पर विचार का जिम्मा कोविंद को सौंपने का निर्णय, चुनाव संबंधी अपने दृष्टिकोण के विषय में सरकार की गंभीरता को रेखांकित करता है. नवंबर-दिसंबर में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और इसके बाद अगले साल मई-जून में लोकसभा चुनाव हैं. सरकार के इस कदम से आम चुनाव एवं कुछ राज्यों के चुनाव को आगे बढ़ाने की संभावनाएं भी खुली हैं, जो लोकसभा चुनावों के बाद में या साथ होने हैं.

राम नाथ कोविंद को ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए एक समिति का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. जेपी नड्डा ने आज सुबह राष्ट्रीय राजधानी में रामनाथ कोविंद के आवास पर उनसे मुलाकात की. हालांकि, बैठक के ब्यौरे का तत्काल पता नहीं चल सका है. रामनाथ कोविंद व्यवहार्यता और तंत्र का पता लगाएंगे कि कैसे देश में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं.

वर्ष 2014 में सत्ता में आने के बाद से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के विचार के प्रबल समर्थक रहे हैं. उन्होंने अक्सर इस बात पर बल दिया है कि लगातार चुनाव के कारण विकास कार्य बाधित होते हैं और लगातार चुनाव के कारण वित्तीय बोझ भी बढ़ता है. रामनाथ कोविंद ने भी मोदी के विचारों से सहमति जताई थी और 2017 में राष्ट्रपति बनने के बाद इस विचार के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया था.

संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने 2018 में कहा था, “बार-बार चुनाव होने से न केवल मानव संसाधनों पर भारी बोझ पड़ता है, बल्कि आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण विकास प्रक्रिया भी बाधित होती है.” मोदी की तरह उन्होंने भी सतत बहस का आह्वान किया था और उम्मीद जताई थी कि सभी राजनीतिक दल इस मुद्दे पर आम सहमति पर पहुंचेंगे.

Next Article

Exit mobile version