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One Nation One Election: चुनाव से ब्लैक मनी का हो जाएगा खात्मा, वन नेशन वन इलेक्शन से क्या–क्या बदलेगा?

One Nation One Election: संसद में वन नेशन वन इलेक्‍शन का विधेयक आने वाला है. अगर पास हो गया तो पूरे देश का चुनावी तंत्र हिल जाएगा. देश की राजनीति बदल सकती है. हमारी–आपकी दुनिया में कितना फर्क पड़ेगा जान लीजिए…

One Nation One Election: वन नेशन वन इलेक्शन कहने का मतलब देश में केवल एक चुनाव. मोदी सरकार चाहती है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हों. मोदी 3.0 सरकार की यह सबसे बड़ा लक्ष्य दिखाई दे रहा है. सरकार इसे मौजूदा शीतकालीन सत्र में बतौर विधेयक पेश कर सकती है. विधेयक तो आप समझते ही हैं. इसका मतलब होता है कि किसी भी चीज का कानून बन जाना और उसे पालन करना. सरकार इस पर सदन में विस्तृत चर्चा चाहती है. इस बिल को सरकार संयुक्त संसदीय समिति के पास चर्चा के लिए भेज सकती है. यह संसदीय समिति का मतलब जिसमें पक्ष और विपक्ष दोनों के सांसद होते हैं.

मोदी कैबिनेट से वन नेशन वन इलेक्शन को मिल चुकी है हरी झंडी

यह मामला एकदम से नहीं आया है. बीजेपी के देश बदलने वाले लक्ष्यों में यह पहले भी शामिल रहा है. मोदी के सत्ता में आने यानी 2014 के बाद से इस पर अधिक चर्चा शुरू हो गई. लेकिन पहले दो कार्यकाल में वे इससे अधिक जरूरी मुद्दों पर काम करते रहे जैसे नोटबंदी, जीएसटी, राम मंदिर, सीमा सुरक्षा, ट्रिपल तलाक, एनआरसी आदि. लेकिन तीसरे कार्यकाल की सबसे अधिक प्राथमिकता वाला विषय वन नेशन-वन इलेक्शन ही है.

इसीलिए इस पर विचार करने के लिए 2 सितंबर 2023 को ही पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था. 14 मार्च 2024 को समिति ने वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. इसके बाद रामनाथ कोविंद समिति की रिपोर्ट को मोदी कैबिनेट से मंजूरी मिल गई.

191 दिनों तक चला मंथन, 62 राजनीतिक दलों से ली राय

समिति ने 191 दिनों तक देश के बड़े राजनीतिक दलों और विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श किया था. इसके बाद 18,626 पन्नों की विस्तृत रिपोर्ट पेश की थी. समिति ने 62 राजनीतिक दलों से संपर्क किया था. इनमें से 32 पार्टियों ने एक देश, एक चुनाव का समर्थन किया था. 15 राजनीतिक दलों ने विरोध जताया था. 15 दलों ने कोई जवाब नहीं दिया था. 

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वन नेशन वन इलेक्शन से जीडीपी बढ़ेगी या होगा भारी नुकसान?

राज्य सभा के उप सभापति हरिवंश जी ने प्रभात खबर की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में कहा था कि अगर देश में एक बार में चुनाव करा लिए जाएं तो देश की GDP यानी सकल घरेलू आय में 1.5% की बढ़ोतरी हो जाएगी. 


विनोबा भावे विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ सीपी शर्मा ने कुछ समय पहले वन नेशन वन इलेक्‍शन के दुष्परिणामों का भी जिक्र किया था. उनके अनुसार इसके लिए बड़े पैमाने पर संविधान में संशोधन करना, अत्यधिक धन का व्यय होना, एक साथ अनेक प्रकार के चुनाव व्यावहारिक रूप से नहीं कर पाना, मतदाताओं को भ्रमित करना और उलझन में डालना, क्षेत्रीय मुद्दों का गौण हो जाना, संघवाद व लोकतंत्र का कमजोर होने जैसे दुष्परिणाम भी सामने आ सकते हैं.

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वन नेशन वन इलेक्‍शन से होने वाले फायदे

  • सरकारी कर्मचारियों को बार-बार चुनावी ड्यूटी से राहत मिलेगी.
  • चुनाव में ब्लैक मनी के बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होने की आशंका जताई जाती है, अगर एक साथ चुनाव हुए तो इसमें काफी कमी आएगी.
  • इससे छोटी पार्टियों को फायदा मिलेगा. छोटी पार्टियों को इलेक्शन फंड से राहत मिलेगी. उन्हें चुनावों में प्रचार पर कम खर्च करना पड़ेगा.
  • पार्टियों और उम्मीदवारों पर खर्च का दबाव भी कम होगा

कांग्रेस और आप कर चुकी हैं खारिज

कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने इसे खारिज कर दिया है. सीपीएम ने कहा, “एक साथ चुनाव कराने का फैसला लोकतंत्र विरोधी है. पार्टी से इसे संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली की जड़ में हमला बताया है.”

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