I-N-D-I-A की काट है One Nation, One Election! लेकिन.. लागू करने के लिए करने होंगे संविधान में पांच संशोधन
One Nation, One Election: एक देश एक चुनाव.. का राजनीतिक दलों के कई नेता समर्थन कर रहे हैं और इसे जरूरी भी करार दिया है. लेकिन लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए संविधान में कई बदलाव करने होंगे. वन नेशन, वन इलेक्शन के लिए संविधान में कम से कम पांच संशोधनों की जरूरत होगी.
One Nation One Election: केंद्र सरकार ने आज यानी शुक्रवार के वन नेशन, वन इलेक्शन (One Nation, One Election) के लिए एक कमेटी गठित की है. कमेटी के गठन के साथ ही देश में वन नेशन, वन इलेक्शन को लेकर चर्चा भी तेज हो गई है. राजनीतिक दलों के कई नेता इसका समर्थन भी कर रहे हैं. ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर तमिल मनीला कांग्रेस के अध्यक्ष जीके वासन ने कहा कि हम संसद और राज्य विधानसभाओं के एक साथ चुनाव के विचार का समर्थन करते हैं क्योंकि इससे खर्च कम होगा और सुरक्षा बलों का अधिकतम उपयोग हो सकेगा. एक राष्ट्र, एक चुनाव निश्चित रूप से आवश्यक है. ताकि देश हर समय राजनीति में बाधा डाले बिना प्रगति की दिशा में काम कर सके. इसी कड़ी में वहीं वन नेशन वन इलेक्शन पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि वन नेशन वन इलेक्शन एक अभिनंदनीय प्रयास है, हमें ये जानकर प्रसन्नता है कि वन नेशन वन इलेक्शन के लिए जो कमेटी बनी है उसके अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को बनाया गया है.
देश हित में है ‘एक देश, एक चुनाव’- बीजेपी
‘एक देश, एक चुनाव’ पर बीजेपी सांसद राज्यवर्धन राठौड़ ने कहा है कि 1983 में विधि आयोग और 1999 में चुनाव आयोग ने सिफारिश की थी कि देश में विधानसभा और लोकसभा के चुनाव एक साथ होने चाहिए. हमारे घोषणापत्र में हमने यह भी बताया कि हमारी कोशिश होगी कि देश में एक साथ चुनाव हों. साल 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लोकसभा में यही बात कही थी. इसी तरह साल 2017 में नीति आयोग ने भी देश में एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की थी. देश…यह देशहित में है.
#WATCH | On 'One Nation, One Election', BJP MP Rajyavardhan Rathore says, "The Law Commission in 1983 and the Election Commission in 1999 had recommended that elections to the Legislative Assembly and the Lok Sabha should be held simultaneously in the country. In our manifesto… pic.twitter.com/oXp89WPu4y
— ANI MP/CG/Rajasthan (@ANI_MP_CG_RJ) September 1, 2023
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर कहा है कि यह एक सराहनीय प्रयास है. मैं इस कदम का स्वागत करता हूं. इससे लोगों की भागीदारी बढ़ेगी, अधिक लोग मतदान करने आएंगे. चुनाव की प्रक्रिया के दौरान, घर से दूर रहने वाले लोगों को कभी-कभी वोट देने का मौका मिलता है, कभी-कभी नहीं.” क्योंकि वे हर बार नहीं आ पाते हैं, इसलिए यह बहुत अच्छा कदम है. केंद्र ने पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द की अध्यक्षता में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ समिति का गठन किया है.
#WATCH | Haryana CM Manohar Lal Khattar speaks on 'One Nation, One Election'
"It is a praiseworthy effort. I welcome this step…This will increase the participation of the people, more people will come to vote. During the process of elections, people who are away from home… pic.twitter.com/bqrTRu9TcD
— ANI (@ANI) September 1, 2023
कई दलों और नेताओं ने की सराहना
जाहिर है एक देश एक चुनाव का राजनीतिक दलों के कई नेता समर्थन कर रहे हैं और इसे जरूरी भी करार दिया है. लेकिन लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए संविधान में कई बदलाव करने होंगे. वन नेशन, वन इलेक्शन के लिए संविधान में कम से कम पांच संशोधनों और बड़ी संख्या में अतिरिक्त इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और पेपर ट्रेल मशीनों की जरूरत होगी, जिन पर हजारों करोड़ रुपये की लागत आएगी. अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. संसद की एक समिति ने निर्वाचन आयोग सहित विभिन्न हितधारकों के परामर्श से एक साथ चुनाव कराने के मुद्दे की जांच की थी.
विधि आयोग के पास भेजा गया मामला
अधिकारियों ने बताया कि समिति ने इस संबंध में कुछ सिफारिशें की हैं. उन्होंने कहा कि एक साथ चुनाव कराने के लिए ‘व्यावहारिक रूपरेखा और ढांचा’ तैयार करने के लिए यह मामला अब विधि आयोग के पास भेजा गया है. अधिकारियों ने कहा कि एक साथ चुनाव कराने से सरकारी खजाने को भारी बचत होगी और बार-बार चुनाव कराने में प्रशासनिक और कानून व्यवस्था मशीनरी की ओर से किए जाने वाले प्रयासों की पुनरावृत्ति से बचा जा सकेगा. यह राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को उनके चुनाव अभियानों में काफी बचत लाएगा.
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन
गौरतलब है कि सरकार ने एक राष्ट्र, एक चुनाव की संभावनाएं तलाशने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है. इससे लोकसभा चुनाव का समय आगे बढ़ने की संभावनाओं के द्वार खुल गए हैं ताकि इन्हें कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के साथ ही संपन्न कराया जा सके. अधिकारियों ने कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों (उपचुनावों सहित) के परिणामस्वरूप आदर्श आचार संहिता लंबे समय तक लागू होती है और इसका विकासात्मक और कल्याणकारी कार्यक्रमों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.
इन अनुच्छेदों पर करने होंगे संशोधन
उन्होंने यह भी कहा कि एक साथ चुनाव कराने के लिए संविधान के कम से कम पांच अनुच्छेदों में संशोधन की आवश्यकता होगी. इनमें संसद के सदनों की अवधि से संबंधित अनुच्छेद 83, राष्ट्रपति द्वारा लोकसभा भंग करने से संबंधित अनुच्छेद 85, राज्य विधानसभाओं की अवधि से संबंधित अनुच्छेद 172, राज्य विधानसभाओं के विघटन से संबंधित अनुच्छेद 174 और अनुच्छेद 356 जो राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाने से संबंधित है. इसके साथ ही भारत की शासन प्रणाली के संघीय ढांचे को ध्यान में रखते हुए सभी राजनीतिक दलों की आम सहमति की भी आवश्यकता होगी. इसके अलावा, यह जरूरी है कि सभी राज्य सरकारों की आम सहमति प्राप्त की जाए.
इसके लिए अतिरिक्त संख्या में ईवीएम और वीवीपीएटी (पेपर ट्रेल मशीन) की भी आवश्यकता होगी, जिसकी लागत ‘हजारों करोड़ रुपये’ होगी. एक मशीन का जीवन केवल 15 साल के होता है, इसका मतलब यह होगा कि एक मशीन का उपयोग उसके जीवन काल में लगभग तीन या चार बार किया जा सकेगा. उन्हें हर 15 साल में बदलने की आवश्यकता होगी. इस व्यापक लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए अतिरिक्त मतदान कर्मियों और सुरक्षा बलों की भी आवश्यकता होगी. विभाग से संबंधित कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय संबंधी संसद की स्थायी समिति ने अपनी 79वीं रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला था कि दक्षिण अफ्रीका में राष्ट्रीय और प्रांतीय विधानसभाओं के चुनाव पांच साल के लिए एक साथ होते हैं और नगरपालिका चुनाव दो साल बाद होते हैं. स्वीडन में, संसद (रिक्सडैग) और प्रांतीय विधायिका/ काउंटी परिषद (लैंडस्टिंग) और स्थानीय निकायों / नगरपालिका विधानसभाओं (कोम्मुनफुलमाक्टिगे) के चुनाव एक निश्चित तारीख पर आयोजित किए जाते हैं. ब्रिटेन में, संसद का कार्यकाल निश्चित अवधि के संसद अधिनियम, 2011 द्वारा शासित होता है.
भाषा इनपुट से साभार