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एक राष्ट्र, एक चुनाव: अधीर रंजन चौधरी ने सदस्य बनने से आखिर क्यों किया इनकार? जानें कांग्रेस ने क्या कहा

केंद्र की मोदी सरकार ने लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने के मुद्दे पर गौर करने और जल्द से जल्द सिफारिशें देने के लिए आठ सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति अधिसूचित कर दी है जिसके बाद से राजनीति गरम है.

केंद्र सरकार ने लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगरपालिकाओं और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने के मुद्दे पर गौर करने और जल्द से जल्द सिफारिशें देने के लिए शनिवार को आठ सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति अधिसूचित कर दी. समिति की अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद करेंगे और इसमें गृहमंत्री अमित शाह, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी सदस्य होंगे. समिति तुरंत ही काम शुरू कर देगी और जल्द से जल्द सिफारिशें करेगी.

यह संविधान, जन प्रतिनिधित्व अधिनियम और किसी भी अन्य कानून और नियमों की पड़ताल करेगी और उन विशिष्ट संशोधनों की सिफारिश करेगी, जिसकी एक साथ चुनाव कराने के उद्देश्य से आवश्यकता होगी. समिति यह भी पड़ताल करेगी और सिफारिश करेगी कि क्या संविधान में संशोधन के लिए राज्यों द्वारा अनुमोदन की आवश्यकता होगी. समिति एकसाथ चुनाव की स्थिति में खंडित जनादेश, अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार करने या दलबदल या ऐसी किसी अन्य घटना जैसे परिदृश्यों का विश्लेषण करेगी और संभावित समाधान भी सुझाएगी.

अधीर रंजन ने सदस्य बनने से किया इनकार

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने देश में एक साथ चुनाव कराये जाने की संभावना तलाशने के लिए केंद्र द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति का हिस्सा बनने से शनिवार को इनकार कर दिया. कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ को लेकर केंद्र द्वारा गठित 8 सदस्यीय समिति का हिस्सा बनने के निमंत्रण को अस्वीकार करने का काम किया है.

अध्यक्ष : पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद

सदस्य : गृह मंत्री अमित शाह, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, राज्यसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद और वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी

विशेष आमंत्रित सदस्य : कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल

सचिव : कानूनी मामलों के सचिव नितेन चंद्रा

आप की प्रतिक्रिया

आम आदमी पार्टी (आप) की पंजाब इकाई के नेता मालविंदर सिंह कंग ने ‘‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’’ को लेकर केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नीत सरकार की आलोचना की और कहा कि देश में इसे लागू करना संवैधानिक, कानूनी या व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है. कंग ने कहा कि भारत विभिन्न राज्यों का एक संघ है और देश में विभिन्न धर्मों, जातियों, समुदायों और भाषाओं के लोग रहते हैं इसलिए एक साथ चुनाव कराना संवैधानिक, कानूनी या व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है.

कांग्रेस की प्रतिक्रिया

कांग्रेस ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की संभावना पर विचार करने के लिए गठित समिति को देश में संसदीय लोकतंत्र को नष्ट करने का एक प्रयास करार देते हुए कहा कि राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को इस समिति का हिस्सा नहीं बनाना समझ से परे है. पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने यह सवाल भी किया कि क्या खरगे को समिति से इसलिए बाहर रखा गया क्योंकि वह बीजेपी एवं आरएसएस के लिए सुविधाजनक नही हैं?

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वेणुगोपाल ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, हमारा मानना ​​है कि एक साथ चुनाव पर उच्च स्तरीय समिति भारत के संसदीय लोकतंत्र को नष्ट करने के एक व्यवस्थित प्रयास के अलावा और कुछ नहीं है. संसद का अपमान करते हुए बीजेपी ने राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष के स्थान पर एक पूर्व नेता प्रतिपक्ष (गुलाम नबी आजाद) को समिति में नियुक्त किया है. उन्होने दावा किया कि बीजेपी ने सबसे पहले अडाणी ‘महाघोटाले’, बेरोजगारी, मूल्य वृद्धि और लोगों के अन्य ज्वलंत मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए यह नौटंकी की. फिर उन्होंने अपने धुर विरोधियों को बाहर करके इस समिति के संतुलन को एक तरफ झुकाने की कोशिश की. वेणुगोपाल ने सवाल किया कि खरगे जी को बाहर करने के पीछे क्या कारण है? क्या एक ऐसा नेता जो इतनी साधारण पृष्ठभूमि से निकलकर भारत की सबसे पुरानी पार्टी के शीर्ष पद तक पहुंचा हो और उच्च सदन में पूरे विपक्ष का नेतृत्व करता हो, भाजपा-आरएसएस के लिए असुविधाजनक है?

भाषा इनपुट के साथ

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